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________________ (१.७) छः तत्त्वों के समसरण से विभाव वैज्ञानिक हैं न! भाप के लिए ऐसा तो नहीं कह सकते न कि यह सूर्य का गुण है लेकिन ऐसा भी नहीं कह सकते कि समुद्र का गुण है ? इसके लिए कोई एक्जेक्ट उदाहरण नहीं मिल पा रहे लेकिन यह तो मैं आपको आइडिया देने के लिए कह रहा हूँ। एक्जेक्ट उदाहरण नहीं मिल सकते। अविरोधाभासी उदाहरण नहीं मिल सकते लेकिन अन्य कोई उदाहरण नहीं दिए जा सकते। इस प्रकार उसमें विशेष गुण उत्पन्न होता है। सूर्य और समुद्र, दोनों के मिलने से भाप का विशेष भाव उत्पन्न हुआ। जब ये दोनों अलग हो जाएँगे तो विशेष भाव बंद हो जाएगा। सादी बात है न! दरअसल तीर्थंकरों के हृदय में, जो चौबीस तीर्थंकरों ने कही थी, वही बात है यह। वह शायद पुस्तकों में हो या न भी हो यानी कि पुस्तकों में शायद यह बात लिख भी न पाए हो। लिखने के लिए तरीके की ज़रूरत है। जबकि मैं तो इसे उदाहरण देकर समझा रहा हूँ। प्रश्नकर्ता : आपके उदाहरण तो बहुत ग़ज़ब के हैं। यह समुद्र भाप निकालता है, यह उदाहरण इस सिद्धांत को समझने के लिए बहुत ही ग़ज़ब का है। दादाश्री : यहीं पर रुक जाते हैं लोग। लोगों के सिद्धांत वहीं पर रुक जाते हैं कि ये कह रहे हैं कि 'भगवान की इच्छा हुई कि मैं प्रकट करूँ' और कितनों ने ऐसा कहा, 'नहीं-नहीं इच्छा नहीं हुई', भगवान 'एकोहम बहुस्याम' हो गए हैं, लोग ऐसा मानते हैं लेकिन वैज्ञानिक नज़रिये से तो ये सब विशेष परिणाम हैं। प्रश्नकर्ता : दादा, यदि ऐसा तो नहीं है कि ये लोग भूल-भुलैया में पड़ जाएँगे, इसलिए यह रास्ता, यह दरवाज़ा ही बंद कर दिया कि तुम इससे आगे मत जाना। भगवान ने बनाया है इसलिए अब बंद कर दो आगे जाना। दादाश्री : जा ही कौन रहे थे? शक्ति ही नहीं है। इसलिए वहाँ
SR No.034306
Book TitleAptavani 14 Part 1 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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