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________________ स्तुति. केवल्यश्री धर जिनवर स्तीर्थ कृवर्धमानी। जीयादर्थ प्रकट करणात् श्रेयसे मोक्षभाजां॥ सूत्राधारे गणधरगणे चंद्रभूतिः सुधर्मों। नियुक्तीना मपिरचयिता पूर्व द्भद्रबाहुः ॥ १॥ शीलांकाचार्य साधु विवरण करणे दक्षबुद्धिं न मामि कारूण्यैक प्रवाहं परमशम मुनि मोहनं बोधदंच ॥ दाक्षा शिक्षा प्रदानो जयतिमुनिभट: श्रेष्ट पन्यास हर्षः सर्वे वा बोधदान। जगति मुनिवरा मोक्ष लक्षा जयंतु ॥२॥ प्राह्लादने जिनवरो खलु पार्श्वनाथ . शांतिप्रदो नत सुरो मुनि नाथ शांतिः धर्मार्थिनः सुमतिदा जिन भक्ति चित्ताः श्राद्धाः सुखं किमपिभो रधिकं बूहिभे ॥३॥ आचार सूत्रं प्रथम यदंग जीवै कहैतं पर रक्षणार्थ अत्रैव सौख्यं शिवदंपरत्र माणिक्य साधोः सुमति प्रदानं ॥ ४ ॥ परोपकाराय सतां विभूतिः परोपकाराय मुनेः सुबोधः परोपकाराय घनस्य वृष्टिः परोपकाराय रुचिः सुधर्मे ॥५॥
SR No.034253
Book TitleAcharanga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManekmuni
PublisherMohanlal Jain Shwetambar Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages371
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_acharang
File Size21 MB
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