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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३७ अबुल फजल सूरिजी के आने के पूर्व ही एक खाट बिछा कर उनके नीचे एक गर्भिणी बकरी को रख कर कपड़ा आच्छादित करके सूरिजी को बैठने के लिये प्रार्थना करने पर उत्तर दिया कि इनके नीचे तीन जीव हैं अतः मैं नहीं बैठ सकता, अबुलफजल ने सोचा कि एक जीव होने पर भी तीन जीव कैसे बता रहे हैं कपड़ा उठा कर देखा तो बकरी ने दो बच्चों को जन्म दे दिया, जिससे तीन जीव देखकर आश्चर्य समुद्र में डूबता हुआ अपनी टोपी को गगन में उड़ाकर सूरि जी से कहने लगा महाराज मेरी टोपी लाइये इस पर गुरुदेव ने अपने रजोहरा (घा) की डंडी आकाश में उनके पीछे उड़ा दी, वह डंडी इस टोपी को पीटती हुई नीचे ले आई तत्पश्चात् अबुल फजल भय विह्वल होकर सूरिजी के अत्यन्त पास आकर सविनय शाही महल में पधारने के लिये प्रार्थना करने लगा, तद्न्तर सूरिजी शेख से निर्दिष्ट जगह पर अपना आसन बिछा कर बैठ गये । अबुल फजल नम्रता पूर्वक सूरिजी से कुशलक्षेम पूछ कर धर्म सम्बन्धी बातें पूछने लगा। कुरान और खुदा के विषय में उसने नाना तरह से जवाब सवाल किया, जिनका उत्तर बड़ी गम्भीरता के साथ युक्ति संगत प्रमाणों द्वारा सूरिजी ने खण्डन मन्डन करते हुए दिया । सूरिजी के विचार सुन कर अबुल फजल बड़ा खुश होकर बोला कि आपके कथन से तो यह सिद्ध होता है कि कुरान में बहुत कुछ गलत बातें लिखी हुई हैं, इस प्रकार की एक हास्यपूर्ण बातें करते हुए मध्यान्ह का समय हो जाने पर शेख सूरिजी से कहने लगा, महाराज! भोजन का समय हो चुका है यद्यपि आप जैसे निरीह महात्मा पुरुषों को शरीर की बहुत कम दरकार रहती है। फिर भी जगत की भलाई के लिये उदर का थोड़ा बहुत पोषण करना आवश्यक है । अतएव किसी उचित स्थान पर बैठ कर आप भोजन कर लीजिये, तत्पश्चात् पास ही में रहे हुए कर्णराजा के महल में सूरिजी आहार पानी के लिये पधार गये, जहां पर पहले ही कुछ साधु गांव से भीक्षाचरी For Private and Personal Use Only
SR No.034238
Book TitleJagad Guru Hir Nibandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyanandvijay
PublisherHit Satka Gyan Mandir
Publication Year1963
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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