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________________ एक तिर्यच पंचेंदियकी पृच्छा-भूतकालमें अनन्ती, वर्तमा नमें ८, भविष्यमें ८-९-१७ सं० भसं० या अनन्ती भावना पूर्ववत् । .. एक मनुष्यकी पृच्छा-भूतकालमें अनन्ती, वर्तमानमें ८, भविष्यमें कोई करेगा कोई न करेगा (बद्भव मोक्षगामी ) जो करेगा वह (-९-१० सं० सं० या अनन्ती भावना पूर्ववत् । ___ व्यन्तर देवकी पृच्छा-भूतकालमें अनन्ती वर्तमानमें । भविष्यमें ८-९-१० सं० सं० या अनन्ती भावना पूर्ववत्एवं ज्योतिषी, पहिला, दूसरा देवलोक भी समझ लेना। तीजा देवलोककी पृच्छा-भूतकालमें अनन्ती, वर्तमानमें ८, भविष्यमें ८-१६-१७ सं० सं० या अनन्ती एवं यावतु नौ ग्रेवेक तक कहना। एकेक विजय पैमान देवकी पृच्छा-भूतकालमें अनन्ती, वर्तमानमें ८, भविष्यमें ८-१६-२४ संख्याती करेगा क्योंकि विजय वैमानके देवता पृथ्व्यादिमें नहीं उत्पन्न होते एवं विजयन्त, जयन्त, अपराजित । सर्वार्थसिद्ध वैमानके एकेक देवताकी पृच्छा-भूतकाल में अनंती, वर्तमानमें पाठ, भविष्यमै पाठ, कारण एकावतारी है. इतिद्वारम् घणा नारकीके नेरीयों की पृच्छा-भूतकालमें अनन्ती, वर्तमान कालमें असंख्याती क्योंकि असंख्याते नारकी है और
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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