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________________ (५) हे गौतम इस लौकमें कोनसा अच्छा और बुरा (उ) हे महाभाग्य-इसी लौकमें अनेक मत्त मत्तौतर स्वच्छेद निनमति कल्पना इन्द्रियपोषक स्वार्थवृत्तिसे तत्वके अज्ञात लोकाने पंथ चलाये है अर्थात ३११ पाषांडोंके चलाये हुवे रहस्तकी कुष न्य कहेते है और सर्वज्ञ भगवान निस्टहीतासे जगतोडारके लिये तत्त्वज्ञानमय रस्ता बतलाया है वह सुपंथ है वास्ते है कुपन्थका त्याग करता हुवा सुंदर संदबोध दाता मुपन्थ पर ही चलता हुवा मात्मरमणता कर रहा हु। हैं गौतम यह उतर आपने ठोक युक्तिद्वार प्रकाश कीया परन्तु एक और भी प्रश्न मुझे पुच्छनका है। हे क्षमा गुणालंकृत भगवान फरमायो ? (८) हे गौतम-इस धौर संसारके अन्दर महा पाणीका बैंगके अंदर बहुतसे पामर प्राणायों मृत्युको प्राप्त होते है तो इन्हीको सरणांभुत एसा कोई द्विपको आप मानते हो ? .. . (उ) हे भगवान-इन्ही पाणीक महां वैगसे बचाने के लिये एक बडा भारी वीस्तारवाला और शौम्य प्रकृति सुंदराकर महा डिंपा है। वहां पर पाणीका वेग कबी नहीं आता है उन्ही द्विपाका आवलम्वन करते हुवे जीवोंकों पाणीका वेग सबन्धी कोसी प्रकारका भय नही होता है ? .. () हे गौतम वह कौनसा दिपा ओर पाणी हैं। () हे भगवान इस रौद्र संसाराणवमें जन्म जरा मृत्यु रोग शोक मादि रूपी पाणीका महा बैग है इस्म भनेक प्राणीयों - - .. .... गौतम वह कोनसा साराणवमे जन्म प्राणीयों
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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