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________________ ५६ जोजनकि चोडी ८ जो० उंची है उन्ही गुफावोंके अन्दर दो दो नदीयों है (१) उमगजला (२) निगमजला - गुफावोंके दरवाजासें २१ जोजन गुफाके अन्दर जावे तब उगमजाल नदी वे वह तीन जोजनका विस्तारमें पाणी वह रहा है उन्हीके अन्दर कीसी प्रकारका पदार्थ कष्ट, कचरा, कलेवर पडजावे तो उन्हीकों तीन दफे इदर उदर भमाके बाहार फेंकदे इसी वास्ते उगमजला नाम है वहांसे दो जोजन आगे जानेपर निगमजला नदी तीन जोजनके विस्तारवाली जिसके अन्दर कोई भी पदार्थ पडे तो उन्हीकों तीन उच्छाला देके नदी के अन्दर रखलेवे वास्ते निगमजला नाम दीया है वहांसे २१ जो० जानेपर तमस्त्रगुफके उतरका दरवाजा आजाता है । परन्तु महाविदे क्षेत्रके ३२ वैताडयके बाहार जीवा धनुषपीष्ट नहीं है केहना वह पलक संस्थान है । लंबा विजयवत् । (३) शोलावस्कार पर्वत - चित्र, विचित्र, निलन, एक शेल, त्रिकुट, वैसमय, अञ्जन, मयाञ्जन, अंकावाइ, पवमाबाई, सीविष, सुहावह, चन्द्र, सूर्य, नाग, देव एवं ९६ पर्वत १६५६२ जो० २ कलाके लम्बा है पांचसो पांचसो जो० पहुला विस्तार है निषेड निलवन्तपर्वतों के पास में च्यारसो जोजनका उंचा और ४०० गाउका धरती में है वहांसें वढते वढते सीता सीतोंदा नदीयोंके पासमें उंचा पांचसो पांचसो जोजनका और ५०० पांचसो गाउका धरतीमें है । १६ कारपर्वतश्वके स्कन्धके श्राकार है. (६) वर्षद्वारपर्वत यंत्र से देखो.
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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