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________________ काय पर्याप्ता वि० (९) अप्पकाय पर्या० वि० (१०) वायुकाय पर्याय० वि० (११) वनस्पतिकाय अपर्या० अनं० गु० (१२) सकाय अपर्या० वि० (१३) वनस्पतिकाय पर्या० सं० गु. (१४) सकाय पर्या० वि० (१५) सकाय वि० । . (७) (१) सबसेस्त्रोक सूक्ष्म तेउकाय (२) सूक्ष्म पृथ्वीकार वि० (३) सूक्ष्म अप्पकाय वि० (४) सूक्ष्म वायुकाय वि० (६) सूक्ष्म निगोद असं० गु० (६) सूक्ष्म वनस्पतिकाय अनं० (५) सूक्ष्म वि. (८) (१) सबसे स्तोक सूक्ष्म सेऊकाय अपर्या० (२) सूक्ष्म पृथ्वीकाय अपर्या० वि० (३) सूक्ष्म अपकाय अपर्या०वि० (४) सूक्ष्म वायुकाय अपर्या० वि० (५) सूक्ष्म निगोद अपर्या. असं गु० (६) सूक्ष्म वनस्पति अपर्या० अनं० गु० (७) सूक्ष्म अपर्याप्त वि० [१४] (१) सबसे स्तोक सूक्ष्मतेऊकायका पर्या० (२) सूक्ष्मपृथ्वीकाय पर्या० वि० (३) सूक्ष्मअप्पकाय पर्या. वि. (४) सूहमवायुकाय पर्या० वि० (५) सूक्ष्मनिगोद पर्या० असं० गु० (६) सूक्ष्मवनस्पतिकाय पर्या० अनं० गु० (७) समुचर सूक्ष्म पर्या० वि० [१५] (१) सबसे स्तोक सूक्ष्म अपर्याप्ता (२) सूक्ष्म पर्याप्ता सं० गु० एवं पृथ्वी, अप्प, तेज, वायु, वनस्पति और निगोद भी कहना। [१६] (१) सबसे स्तोक, सूक्ष्मतेऊकाय अपर्याप्ता (२) सूक्ष्म पृथ्वीकाय अपर्या० वि० (३) सूक्ष्मभप्प काय प.
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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