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________________ [२२] हे भगवान् : नारकीसे नेरीया निकलते है के अनेरीया ? गौतम : नेरीया नही निकाले अनेरीया निकलते हैं क्योंकी नारकीसे निकलकर फिर तद भव नारकीमें उत्पन्न नहीं होगा परन्तु मनुष्य, तीर्थचमें उत्पन्न होगा इस लिये अनेरीया कहा। एवं १३ दंडक देवताओंका भी कहना. और पांच स्थावर, तीन विकलेन्द्रो तीयच पंचेन्द्री और मनुष्य एवं १० दंडक औदारिक शरीरके हैं ये बकाय तथा परकाय दोनोंमें उत्पन्न होते हैं इसलिये पृथ्वीकायकी पृच्छामें पृथ्वीकायसे पृथ्वीकाव्य भी निकले और अपृथ्वीकाय भी निकले एवं यावत मनुष्य भी कहना। मनुष्य तीयच मरके नारकीमें जाने वाला है उसको अगर मरते समय जो कृष्ण लेश्या आगई तो वह नारकीमें भी कृष्ण लेश्यामे ही उत्पन्न होगा और नारकीसे निकलेगा वह भी रणा, लेझ्यामें ही निकलेगा अर्थात् नारकी, देवताओंके तीनो स्थान पर एक ही लेश्या रहती है, एवं नारकी अपेक्ष कृष्ण, नील. कापोत और देवताओंकी अपेक्ष छेओं लेश्या कहनी यह १” दंडक कहे. जो जीव कृष्णलेश्यामें मरके पृथ्वी कायपने उत्पन्न हुवा है वह क्या कणलेश्यामें हीं मरेगा ? पृथ्वीकायके लिये यह नियमा नहीं है वह स्यात् कृष्ण, नील, कापोत इन तीन लेश्याओंको परस्पर तेनो लेश्यावाला जीव नियमा लेश्या बदलता है क्योंकी तेजोलेश्या अपर्याप्त अवस्थामें ही रहती है पर्याप्ति अवस्थामें नहीं . १ मरते घखत, उत्पन्न होते वखत और स्मपुर्ण आयुष्य ।
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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