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________________ VERSIL ५.०४ खेचरकि गतिके एकान्त छद० । ६ ४८र८८/१६२ तीर्यचकि गतिके त्रसमें १४ २६३०३१६२ ५०६, संझी तीर्यचकि गतिके तीनशरीरमें | १४| ४२२८८/१६२ ५०० अन्तरद्विपके पर्याप्ताके अलद्धियोंमें १४ ४८२४७१६८ ५०६ उरपुरकि गतिके एकान्त सकषायमें १० ४८२८८१.६२ to चोपदकि गतिके प्र० शरीरी बादरमें ८ ३६/३०३/१६२ पणि गतिके एकान्त संयोगिमें १२ ४८२८८/१६२ स मयीन प्र० शरीरी बादरमें | १४| २६२७२/१९८ ५१२ तीर्यचकि गतिके एकान्त संयोगिमें | १४ ४८२८८/१६२ एक संस्थानी मिथ्यात्वीमें | १४| ३८२७३/१८८ मध्य जीवोंके स्पर्शनेवाले एकान्त छद० चतु० | १४) २२२८८ १६० ५१५ तीर्यचणि गतिके बादरमें १२/ ३८३०३/१६२ ५१६/ म. जीवोंके भेद स्प० एकान्त | छद० घाणेन्द्रि० | १४ २४२८८/१९० ५१०नि० गति एक संस्थानि प्र० । शरीरीमें | १२ ३४२४३१९८ से पांचेन्द्रियमें एकान्त छद० घणेभव० १४ २०२८८१९६ १६ चाइन्द्रिय एकान्त असंयममें । १४, १७२८८/१९८ पांचेन्द्रिय एकान्त सकषायमें । १४२०२८८१९८
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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