SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३५ [८] वैक्रयद्वार - भाषि द्रव्यदेव वैक्रय करे तो १-२-३ उ० संख्याते रूप करे और असंख्याताकी शक्ति है एवं नरदेवधर्मदेव भी । देवादिदेवमें अनन्त शक्ति है परन्तु करे नहीं । भावदेव १-२-३ उ० सं० असंख्याते रूप करे । [8] अल्पाबहुत्वद्वार -- स्तोक ( १ ) नरदेव ( २ ) दे वादिदेव संख्यात गुणा ( ३ ) धर्मदेव संख्यात गुणा ( ४ ) भावि देव असंख्यात गुणा ( ५ ) भावदेव असंख्यात गुणा इति । ॥ सेवते सेवते तमेव सच्चम् ॥ || इति श्री शीघ्रबोध भाग ६ वां समाप्तम्
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy