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________________ २३४ [५] अन्तरद्वार-भावि द्रव्यदेवको अन्तर ज० ११००० वर्ष उ० अनन्तकाल (वनस्पतिकाल)। नरदेव-ज०१ सागरोपम नाझरो और धर्मदेवको ज० प्रत्येक पल्योपम उ० नरदेव धर्मदेव दोनोंको देशोणी अर्द्ध पुद्गल प्र० । देवादि देवकों अन्तर नहीं है। भाषदेवकों ज• अन्तरमुहूर्त उ० अनन्तो काल । [६] अवगाहनाद्वार-भावि द्रव्यदेवको ज० आंगुलके असंख्यातमे भाग उ० हजार नोजन । नरदेव ज०७ धनुष्य । धर्मदेव ज. एक हस्त उणी। देवादिदेव ज०७ हस्त उ० तीनुकी ५०० धनुष्य । भावदेव ज· आंगु० असं० भाग उ०७ हस्तप्रमाण। [७] गत्यागतिद्वार-यंत्रसे। मार्गणा. १ भाविभव्य द्रव्यदेवकी आगति |२८४ गति | १९८ २ नर देवकी आगति ८२ गति ३ धर्म देवकी आगति २७५ गति |७० आगति * • • • | 3 | • • • 12 |•|• IETTE ४ देवादिदेवकी ____ गति मोक्ष ५ भाष देवकी , आगति ११ गति | ४६ | १६ | ३० ।
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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