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________________ २२६ थोकडा नं० १२२ सूत्र श्री अनुयोग द्वार। (छै भाव) भाव ६ प्रकारका है यथा (१) उदय भाव (२) उपशम भाव (३) क्षायक भाव (४) क्षयोपशम भाव ५) परिणामिक भाव (६) सनिपातिक भाव । (१) उदयभावके दो भेद हैं उदय '(२) उदय निष्पन्न जिसमे उदय तो आठ कम्ौंका और उदय निष्पन्न के २ भेद है (१) जीव उदय निष्पन्न (२) अजीव उदय निष्पन्न, जिसमें जीव उदय निष्पन्नके ३३ बोल है-गात नरक, तियश्च, मनुष्य दे. बता । काय ६ पृथिवीकाय, अप्काय, तेऊकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय, त्रसकाय, कषाय ४ क्रोध, मान, माया, लोभ, लश्या ६ कृष्ण, नील, कापोत, तेजो, पद्म, शुक्ल, वद ३ स्त्रीवेद. पु. रुषवेद नघुमकवेद, मिथ्यात्वी, अति, अज्ञानी, असन्नि, आहा. रिक, संसारिक छद्मस्थ, सयोगी, अकेवली, असिद्ध, एषम् ३३ * (२) अजीव उदय निष्पन्नके ३० बोल पांच शरीर औदारिक, वैक्रिय आहारिक, तेजस, कार्मण और पांच शरीरों में प्रणमें हुए पुद्गल एवम् १० और वर्ण ५ गन्ध २ रस ५ स्पर्श ८ सर्व मिलकर तीस बोल हुए। . * जीन उदय निष्पन्नके ३३ बोल हैं, जिसमें अज्ञान, छद्मस्थ, अकेवली, असिद्ध, यह ४ बोल ज्ञानावरणीय कर्मके उदय हैं । आहारिक वेदनी कर्मका उदय है। तीन वेद. चार काय, अवत, मिथ्यात्व, यह नव बोल मोहिनी कर्मके उदय है। शेष १९ बोर नाम कमके उदय है।
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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