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________________ यह बात किसीसे छीपी नहीं है कि आगम शिरोमणी परम प्रभाविक श्रीमत् भगवतीसूत्र जैन सिद्धान्तो मे एक महत्वका सूत्र है. चारों अनुयोग द्वारोंका महान् खजाना है. इसके पठन पाठन के अधिकारी भी बहुश्रुति गीतार्थ मुनि ही है, तद्यपि अल्पश्रुतवालोंको सुगमतापूर्वक बोध होने के लिये कितनेक द्रव्यानुयोग विषयोंका सुगम रीती से थोकडा रुप में लिखकर अन्य २ शीघ्रबोध भागो में प्रकाशित किये है. जिसकी सूचि यहां दी जाती है की कोई भी विषयको देखना हो तो सुगमतापूर्वक देख सके. | शीघ्रबोध नंबर श्री भगवतीसूत्र. | थोकडो में विषय. | के किस भाग में है. भाग २५ श० १ उ० १ श० १ उ०१ श० १ उ०१ चलमाणे चलिय नरकादि ४५ द्वार ज्ञानादिप्रश्न देवोत्पातके १४ बोल कांक्षामोहनीय श०१ उ० S aorm w309 0. 054 श० १ उ०.३ श० १ ०४ श०१उ०६ .श. १उ०७ अस्ति अधिकार वीर्याधिकार कषाय सूर्योदय नरकादि गमन आयुष्यबन्ध अगलघु पंचास्तिकार चौभंगी१९ परमाणु हियमान श० १उ०८ २५ श० २०१० १९ .५३.८
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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