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________________ था. आपश्रीके उपदेश द्वारा फलोधी में श्री रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमाला नामकि संस्था स्थापित हुइ थी. आपश्रीने अपने पवित्र जीवनमें शासन सेवा बहुत ही करी थी. केइ जगह जीर्णोद्धार पाठशालावोंके लिये उपदेश दीया था जिनोंकि उज्वल कीर्ति भाज दुनियों में उच्च पदको भोगव रही है. आपश्रीका जन्म सं. १९३२ में हुवा सं. १६४२ में स्थानकवासीयों में दीक्षा सं. १९६० में जैन दीक्षा और सं. १९७७ में आपका स्वर्गवास गुजरातके वापी ग्राममें हुवा है जहांपर आज भी जनताके स्मरणार्थ स्मारक मोजुद है. एसे निःस्पृही महात्मावोंकी समाजमें बहुत आवश्यक्ता है. यह एक परम योगिराज महात्माका किंचित् आपको परिचय कराके हम हमारी प्रात्माको अहोभाग्य समजते है. समय पा के आपश्रीका जीवन लिख आपलोगोंकि सेवा में भेजनेकि मेरी भावना है शासनदेव उसे शीघ्र पूर्ण करे. I have the honour to be sir, Your most bedient slave M. Rakhchand Parekh. S. Collieries. Member Jain nava suvak mitra mandal LOHAWAT.
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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