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________________ उपयोगहार. (५१) (३) पांच स्थावरमें तीन उपयोग लेके जावे और तीन उपयोग ही लेके निकले दो अज्ञान, एक दर्शन)। तीन विकलेन्द्रिय पांच उपयोग लेके जावे ( दो ज्ञान, दो अज्ञान, एक दर्शन | और तीन उपयोग लेके निकले (दो अज्ञान, एक दर्शन' और तिर्यच पांचेन्द्रिय पांच उपयोग लेके जावे ( दो ज्ञान दो अज्ञान एक दर्शन ) और आठ उपयोग लेके निकले ( तीन ज्ञान, तीन अज्ञान दो दर्शन )॥ मनुष्य में सात उपयोग (तीन ज्ञान, दो अज्ञान, दो दर्शन ) लेके जावे और आठ उपयोग ( तीन ज्ञान, तीन अज्ञान, दो दर्शन ) लेने निकले ॥ सिद्धों में केवलज्ञान, केवल दर्शन लेके जीव जाता है वह सादि अंत भांगे सदैव साश्वते आनन्दघनमें विराजमान होते है । इति. सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् थोकडा नम्बर १२ सूत्रश्री भगवती शतक १ उ० २. (देवोत्पातके १४ बोल.) निम्नलिखत चौदा बोलोंके जीप अगर देवतोंमें जावें तो कहांतक जा सके. संख्या. मार्गणा. जघन्य. उत्कृष्ट. असंयतिभवी द्रव्य देव २ । अधिराधि मुनि ३ | विराधि मुनि भुवनपतिमें नौवेयक सौधर्मकल्प | अनुत्तर वैमान भुवनपतिमें सौधर्मकल्प
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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