SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शीघबोध भाग १ लो. थोकडा नम्बर ११ . सूत्रश्री भगवतीजी शतक १३ उद्देशो १-२. ( उपयोगाधिकार.) उपयोग बारह है जिस्मे कोत गतिमें जाता हुवा जीव कीतने उपयोग साथमे ले जाते है और कीस गति से आता हुवा जीव साथमें कीतने उपयोग ले आते है यह सब इन थोकडे द्वारा बतलाया जाता है। (१) पहली, दुसरी, तीसरी नरकमें जाते समय आठ उपयोग लेके जाते है यथा-तीनज्ञान ( मतिज्ञान, श्रुतिज्ञान अवधिज्ञान ) तीन अज्ञान ( मति, श्रुति, विभंगज्ञान ) दोय दर्शन ( अचक्षु, अवधिदर्शन ) और सात उपयोग लेके पीच्छा निकले. एक विभंगज्ञान वर्ज के । चोथी, पांचमी, छठी नरक में पूर्ववत् आठ उपयोग लेके जावे. और पांच उपयोग लेके निकले अर्थात् इन तीनों नरकसे निकलनेवाला अवधिज्ञान अवधिदर्शन नही लाता है. सातवी नरकमें पांचज्ञान तीन अज्ञान-दो दर्शन) लेके जावे और तीन उपयोग लेके निकले दो अज्ञान-एक दर्शन) (२) भुवनपति, व्यंतर, ज्योतीषी देव आट उपयोग लेके जावे पूर्ववत् और पांच उपयोग लेके निकले (दो ज्ञान, दो अ. ज्ञान, एक दर्शन ।। बारहा देवलोक नौवेयकमें आठ उपयोग (पूर्ववत् लेके जावे और सात उपयोग लेके निकले) (तीनज्ञान, दो अज्ञान, दो दर्शन ।। अनुत्तर चेमानमें पांच उपयोग लेके जावे (तीन ज्ञान, दो दर्शन एवं पांच उपयोग लेके निकले।
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy