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________________ लघुदंडक. तीन विकलेंद्रिय, असन्नी तीर्थच, असन्नी मनुष्यमें लेश्या पावे तीन कृष्ण, नील कापोत ले० सन्नी तिर्यच सन्नी मनुष्यमें लेश्या ६ पावे. जोतीषी और १-२ देवलोकमै तेजोलेश्या ३-४-५ देवलोकमें पदमलेश्या ६ से १२ देवलोकमे शुक्ललेश्या नौवागैवेयक पांच अनुत्तर विमानमें परम शुक्ल लेश्या सिद्ध भगवान अलेशी है। (८) इंद्रिय-[५] पांच स्थावरमें एक इंद्रिय, वे इंद्रियमें दा इंद्रिय, तेइंद्रियमें तीन इंद्रिय, चौरेंद्रिय चार इंद्रिय बाकी १६ दंडकमें पांच इंद्रियां है सिद्ध अनिदिआ है । (६) समुद्घात [७] नारकी और वायु कायमें समुद् घात पावे चार, वेदनी, कषाय, मरणंति, वैक्रिय । देवतामें और सन्नीतियेचमें समुद्घात पावे पांच वेदनी, कषाय, मरणंति वैकिय, तेजस । चार स्थावर तीन विकलेंद्रिय, असन्नी तिर्यंच, असन्नी मनुष्य और युगलीआमें समुद्घात पावे तीन वेदनी, कषाय, मरगंति । सन्नी मनुष्य में समुद्घात पावे सात नववेयक, पांच अनुत्तर विमाममें स० पावे तीन और वैक्रिय तेजसकी शक्ति है परन्तु करे नहीं सिद्धोमें समुद्घात नहीं है। (१०) सनी-नारकी देवता, सन्नी तिर्यच, सन्नी मनु. प्य और युगलीआ ये सन्नी है पांच स्थावर तीन विक्लेंद्रिय असन्नी मनुष्य, असन्नी तिर्यच ये अत्तन्नी है । सिद्ध नो सन्नी नो असन्नी है। (११) वेदनारकी पांच स्थावर तीन विक्लेंद्रिय . · असन्नीतिर्यंच और असन्नी मनुष्यमें नपुंसक वेद है। दश भुवन पति, व्यंतर, जोतीषी १-२ देवलोक और युगलीआमें वेद पावे
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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