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________________ (२५) लघुदंडक पढनेवालोको पहले पैंतीसवोल कंठस्थ कर लेना चा- . हिये । अब यह चौवीसवार चौवीसदंडकपर उतारा जाते है। (१) शरीर-नारकी देबतावों में तीन शरीर-वैक्रीय शरी र० तेजस कारमण पृथ्वीकाय, अप० तेउ०पनास्पति बेइन्द्रिय तेहन्द्रिय चोरिन्द्रय, असंही तीर्यच पंचेन्द्रिय, असंही मनुष्य और युगल मनुष्य इन बोलोंमें शरीर तीन पावे. औदारीक शरीर तेजस० कारमण । वायुकाय और संज्ञी तीर्यच में शरीर च्यार पावे. औदारीक वैक्रीय तेजस. कारमण.। मशीमनुष्यमें शरीर पांचोंपाय. सिद्धोंमें शरीर नहीं. (२) अवगाहना-जघन्य-भवधारणी अंगुलके असंख्यात मे भाग है और उत्तर वैक्रिय करते है उनके जघन्य अंगुलके संख्यातमें भागहोती है अब भवधारणि तथा उत्तर धैक्रय कि उत्कृष्ट अवगाहाना कहते है उत्कृष्ट उत्कृष्टि नाम. भवधारिणि उत्तरवैक्रिय धनुष्य | आंगुल धनुष्य मांगुल - - - - - ७॥ पहली नारकी दुसरी , तीसरी , चोथी , ६२॥ पांचमी " छठी " सातमी, - |
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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