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________________ (४) शीघ्रबोध भाग १ लो. (१३) अपने पूर्वजोंका चलाइ हूइ अच्छी मर्यादाकों या वेषका ठीक तरहसे पालन करना कीसीके देखादेख प्रवृत्ति या वेष नही बदलना। (१४) आठ प्रकार के गुणोंकों प्रतिदिन सेवन करते रहना यथा (१) धर्मशास्त्र श्रवण करनेकि इच्छा रखना (२) योग मीलनेपर शास्त्र श्रवणमें प्रमाद न करना (३) सुने हुवे शास्त्रके अर्थकों समझना (४) समझे हूवे अर्थकों याद करना (५) उसमें भी तर्क करना (६) तर्कका समाधान करना (७) अनुपेक्षा उपयोगमें लेना या उपयोग लगाना (८) तत्वज्ञानमें तलालीन हो. जाना शुद्ध श्रद्धा रखना दुसरेको भी तस्वज्ञानमें प्रवेश करा देना। (१५) प्रतिदिन करने योग्य धर्मकार्यको संभालते रहेना, अर्थात् टाईमसर धर्म क्रिया करते रहना । धर्महीको सार समझना। ) १६ ) पहिले कियेहुवे भोजन के पचजानेसे फिर भोजन करना इसीसे शरीर आरोग्य रहता है और चित्तमें समाधी रहेती है। (१७) अपचा अजिर्ण आदि रोग होनेपर तुरत आहारको त्याग करना, अर्थात् खरी भूख लगनेपर ही आहार करना परन्तु लोलुपता होके भोजन करलेने के बाद मीष्टानादि न खाना और प्रकृतिसे प्रतिकुल भोजन भी नही करना, रोग आनेपर औषधीके लिये प्रमाद न करना। (१८) संसारमें धर्म, अर्थ, कामको साधते हुवे भी मोक्षवर्गको भूलना न चाहिये । सारवस्तु धर्म ही समझना । और समय पाकर धर्मकार्योंमे पुरुषार्थ भी करना। (१९) अतित्थी-अभ्यागत गरीब रांक आदिको दुःखी
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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