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________________ ( ३६४) शीघ्रबोध भाग ५ वा. पझसगा कहते हैं. इसका सर्वाधिकार प्रथम उद्देशे वत् समझना. परन्तु परंपर पझत्तगा का सूत्र विशेष कहना. इति नवमोद्देशकम् . श्री भगवती सूत्र श० २६ उ० २० चरमोदेशो, जिस जीव का जिस गति में चरम समय शेष रहा हो उसको चरमोदेशो कहते है. इसका सर्वाधिकार प्रथम उद्देशावत् परन्तु "चरमोददेशो"का सूत्र विशेष कहना. इति दशमोददेशकम् श्री भगवती सूत्र श० २६ उ० ११ अचरमोददेशो. अचरमोददेशो प्रथम उददेशे के माफक है. परन्तु १७ बोलो में अलेशी, केवली, अयोगी ये तीन बोल कम करना. भांगा ४ में चौथो भांगो और देवता में सर्वार्थसिद्ध को बोल कम करना. शेष प्रथम उदेशे के माफक कहना. इति श्रीभगवती सूत्र श०२६ समाप्तम्. सेवं भंते सेवं भंते तमेव सचम् थोकडा नं. ५७. ॥श्री भगवती सूत्र श० २७ ।। शतक २६ उदेशा १ में जो ४७ बोल कह आये है. उसपर जो "बांधा, बांधे, बांधसी" इत्यादिक ४ मांगों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया है उसी माफक यहां भी "कर्म किरिया, करे, करसी'' इत्यादिक नीचे लिखे ४ भांगों का अधिकार पूर्ववत् ११ उद्देशों बंधी सादृश ही समज लेना. (१) कर्म किरिया, करे, करसी, (२) किरिया, करे, न करसी । ३) किरिया, न करे, करसी (४) करिया, न करे न करसी.
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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