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________________ कर्मबन्धाधिकार. (३३९) समुश्चय नीवका भांगा ३ अठारे दंडकका ५४ मनुष्यका ९ सर्व ६६ भांगा हुवा इति । समुच्चय एक जीव मोहनीय कर्म बांधता ७-८ कर्म बांधे एवं २४ दंडक। समुच्चय घणा जीव मोहनीय कर्म बांधतां ७-८ कर्म बांधे जिसमें ७ कर्म बांधनेवाले घणा और आठ कर्म बांधनेवाले भी घणा इसी माफिक ५ स्थावर भी समझ लेना। ___ घणा नारकीका जीव मोहनीय कर्म बांधतां ७-८ कर्म बांधे जिसमें ७ कर्म बांधनेवाले सास्वता ८ का असास्वता जिसका भांगा। । १) सात कर्म बांधनेवाले घणा ( सास्वता) (२) , , ,, आठ बांधनेवाला एक (३) " " , घणा एवं पांच स्थावर वर्जके १९ दंडकमें समझ लेना ५७ भांगा हुषा। समुच्चय एक जीध आयुष्य कर्म बांधतां नियमा ८ कर्म बांधे एवं नरकादि २४ दंडक इसी माफिक पणा जीव आश्रयी समुच्चय जीव और २४ दंडकमें भी नियम ८ कर्म बांधे इति । भांगा ३३०-६६-५७ सर्व मीली ४५३ भांगा हुवा। सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम्.
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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