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________________ (३३८) शीघ्रबोध भाग ५ वा. समुच्चय एक जीव वेदनीय कर्म बांधता हुवा ७-८-६-१ कर्म बांधे. इसी माफिक मनुप्य भी ७-८-६-१ कर्म बांधे. शेष २३ दंडकके एक एक जीव ७-८ कर्म बांधे। समुच्चय घणा जीव वेदनीय कर्म बांधता ७-८-६-१ बांधे. जिसमें ७-८-१ कर्म बांधनेवाले सास्वता और ६ कर्म बांधनेवाले असास्वता जिसका भांगा३।। (१) ७-८-१ कर्म बांधनेवाला घणा ( सास्वता) (२) ७-८-१ का घणा और छ कर्म बांधनेवाला एक । (३) ७-८-१ का घणा और छै कर्म बांधमेवाले घणा। घणा नारकीका जीव वेदनीय कर्म बांधता ७-८ कर्म बांधे, जिसमें ७ कर्म बांधनेवाले सास्वते और ८ कर्म बांधनेवाले असास्वते जिसका भांगा ३। (१) सात कर्म बांधनेवाले घणा। (२) सात कर्म बांधनेवाले घणा और ८ कर्म बांधनेवाला एक । (३)सात कर्म बांधनेवाले घणा ८ कर्म बांधनेवाले घणा । एवं १० भुवनपति ३ विकलेंद्री, तिर्यंच, पंचेंद्री, व्यंतर, ज्योतिषी, वै. मानिक, नरकादि १८ दंडकमें तीन भांगा गीणतां५४ भांगा हुवा। पृथ्व्यादि पांच स्थावरमें सात कर्म बांधनेवाले घणा और ८ कर्म बांधनेवाले भी घणा वास्ते भांगां नहीं उठते है। घणा मनुष्य वेदनीय कर्म बांधता ७-८-६-१ कम वांधे जिसमें ७-१ कर्म बांधनेवाले घणा जिसका भाग ९ ७-१ का । ८ । ६ ७-१ का । ८ । ६ ३ (घणा) ० .३ १ १ ur orm mr mr or mr m m ३ . ३ एवं ९ भांगा
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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