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________________ ( ३१८) शीघबोध भाग ५ वा. शरीर नाम तीन शरीरके आंगोपांग नाम छ संहनन छे संस्थान उपघात नाम साधारण नाम प्रत्येक नाम उद्योत नाम आताप नाम पराघात नाम एवं ३६ प्रकृतियां पुद्गल विपाकी है एवं ४-७.-४-३६ कुध १२२ प्र० उदय । परावर्तन प्रकृतियों-एक दुसरे के बदले में बन्ध सके-यथा शरीरतीन आंगोपांगतीन संहनन छे संस्थान छे जातिपांच गतिच्यार विहागतिदो अनुपूर्वीचार वेदतीन दोयुगलकि च्यार कषायशोला उद्योत आताप उच्चगौत्र निश्चगौत्र वेदनिय-साता-असाता निद्रापांच त्रसकीदश स्थावरकीदश नरकायुष्य तीर्यचायुष्य मनुघायुष्य देवायुष्य एवं ९१ प्रकृति परावर्तन है। शेष ५७ प्रकृति अपरावर्तन याने जीसकी जगह वह ही प्र. कति बन्धती है उसे अपरावर्तन कहते है । शेष आगे चोथा कर्मग्रंथाधिकारे लिखा जावेगा सेवं भंते सेवं भने–तमेव सच्चम्. -*थोकडा नंबर ४४ ( कर्म ग्रंथ दूसरा) मूल कर्म आठ है जिनकी उत्तर प्रकृति १४८४ जिनके नाम योकडा नं० ४२ में लिख आये हैं वहां देख लेना उन १४८ प्रकृतियों में से बंध, उदय, उदीरणा, और सत्ता किस ५ गुणस्थान में कितनी २ प्रकृतियाकी है सो लिखते है. (प्र) गुणस्थानक किसे कहते है ? x श्री प्रज्ञाप्ना सूत्रानुस्वार १४८ प्रकृति है और कर्मग्रन्धानुस्वार १५८ परन्तु दोनु मत्तानुसार बन्ध प्रकृति १२० है वह ही अधिकार यह बतलावेंगे ।
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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