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________________ ( ३०६) शीघ्रबोध भाग ५ वा. __ सुभाग नाम-कोसीपर भी उपकार किया विगर ही लोगों के प्रीतीपात्र होना उसको सुभागनाम कर्म कहते है। अथवा सौभाग्यपणा सदैव बना रहना युगल मनुष्यवत्. सुस्वर नाम-मधुर स्वर लोगोंको प्रीय हो पंचमस्वरवत् आदेय नाम--जिनोंका वचन सर्वमान्य हो आदर सत्कारसे सर्व लोन मान्य करे। यशकीर्ति नाम-एक देशमे प्रशंसा हो उसे कोर्ति कहते है और बहुत देशों में तारीफ हो उसे यशः कहते है अथवा दान तप शील पूजा प्रभावनादिसे जो तारीफ होती है उसे कीर्ति कहते है और शत्रुवोंपर विजय करनेसे यशः होता है। अब स्थावरकि दश प्रकृति कहते है। स्थावर नाम-जिस प्रकृतिके उदय से स्थिर रहे याने शरदी गरमीसे बच नहीं सके उसे स्थावर कहते है जेसे पृथ्व्यादि पांच स्थावरपणे में उत्पन्न होना ! सूक्ष्म नाम-जिस प्रकृति के उदयसे सूक्ष्म शरीर-जो कि छद्मस्थोंके इष्टिगोचर होवे नहीं कोसीके रोकने पर रूकावट होवे नहो. खुदके रोका हुवा पदार्थ रूक नही सके । वैसे सूक्ष्म पृथ्व्यादि पाँच स्थावरपणेमें उत्पन्न होना। अपर्याप्ता नाम-जिस जातिमें जितनी पर्याय पावे उनसे कम पर्यायवान्धके मर जावे, अथवा पुद्गल ग्रहन में असमर्थ हो । ___ साधारण नाम अनंत जाव एक शरीरके स्वामि हो अर्थात् एक ही शरीर में अनंत जीव रहते हो. कन्दमूलादि. ___ अस्थिर नाम-दान्त हाड कान जीभ ग्रीवादि शरीरके अव. यवों अस्थिर हो-चपल हा उसे अस्थिर नाम कर्म कहते है।। अशुभनाम-नाभीके नीचे का शरीर पैर विगेरे जोकि दुस
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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