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________________ ३६ बोल. (२५१) ( ३. ) महा मोहनियबंधका कारण तीस-१ स जीवोंकों पानीमें डुबाकर मारनेसे महा मोहनियकर्म बांधे, २ स जीवोंको श्वास रोकके मारे तो०३ स जीवोंकों अग्निमें या धूप देकर मारे तो०४ त्रस जीवों को मस्तकपर चोट देकर मारे तो० ५ त्रस जीवौको मस्तकपर चमडे वगेरेका बंधन देकर मारे तो०६ पागल (घेला) गंगा बावला ( चित्तभ्रम । वगेरेकी हांसी करे तो. ७ मोटा ( भारी ) अपराधको गोपकर ( छिपाकर ) रखे तो० ८ अपना अपराध दूसरेपर डाले तो० ९ भरीसभाम मिश्रभाषा बोले तो० १० राजाकी आती हुइ लक्ष्मी रोके या दाणचोरी करे तो० ११ ब्रह्मचारी न हो और ब्रह्मचारी कहावे तो० १२ बाल ब्रह्मचारी न हो और बालब्रह्मचारी कहावे तो० १३ जिसके प्र. योगसे अपनेपर उपकार हुवा हो उसीका अवगुण बोले तो० १४ नगरके लोगोंने पंच बनाया वह उसी नगरका नुकसान करे तो० २५ स्त्री भरतारको या नौकर मालिकको मारे तो०१६ एक देश के राजाकी घात चिंतवे तो० १७ बहुत देशोंके राजावोंकि घात चिंतवे ता. १८ चारित्र लेनेवालेका परिणाम गिरावे तो० १९ अरिहंतका अवर्णवाद बोले तो० २० अरिहंतके धर्मका अवर्णवाद बोले तो २१ आचार्योपाध्यायका अवर्णवाद बोले तो २२ आचार्योपाध्याय ज्ञान देनेवालेकी सेवाभक्ति यशः कीर्ति न करे तो० २३ बहुश्रुति न होकर बहुश्रुति नाम धरावे तो० २४ तपस्वी न होकर तपस्वी नाम धरावे तो० २२ ग्लानीकी व्यावञ्च टेहल चाकरी ) करनेका विश्वास देकर वैयावच्च न करे तो० २६ चतुर्विधसंघमें छेदभेद करे तो० २७ अधर्मकी प्ररुपणा करे तो० २८ मनुष्य, देवतोंके कामभोगसे अतप्त हो• कर मरे तो० २९ कोई श्रावक मरके देवता हुवा हो उसका अवर्णवाद बोले तो० ३० अपने पास देवता न आते हो और कहे कि मेरे पास देवता आता है तो महा मोहनियकर्म बांधे.
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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