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________________ ( २५०) शीघ्रबोध भाग ४ था. सुने, विषयकारीरुप न देखे, विषयकारी गन्ध न ले, विषयकारी रस न भोगवे, विषयकारी स्पर्श न करे. (२६) दशाश्रुतस्कंधकादश अध्ययन, व्यवहारसूत्रका दशअ. ध्ययन, बृहत्कल्पका छे अध्ययन, कुल मिलाकर २६ अध्ययन हुवे. (२७ ) मुनि के गुण सत्तावीस-पांच महाव्रत पाले, पांच इन्द्रिय दमे, चार कषाय जीते, मनसमाधी, वचनसमाधी, काय. समाधी, नाणसंपन्ना, दर्शनसंपन्ना, चारित्रसंपन्ना, भावसच्चे, करणसच्चे, योगसच्चे, क्षमावंत, वैराग्यवंत, वेदनासहे, मरणका भय नही, जीनेकि आशा नहीं. (२८) आचारांग कल्पका २८ अध्ययन-आचारांग प्रथम श्रुतस्कंधका नौ अध्ययन-शस्त्रप्रज्ञा, लोकविजय, शीतोष्ण. समकितसार. लोकसार, धुत्ता, विमुखा, उपाधान, महाप्रज्ञा ॥ दूसरे श्रुतस्कंधका १६ अध्ययन-पंडेषणा, सजाएषणा, इर्याएषणा, भाषापषणा, वस्त्रेषणा, पात्रेषणा, उग्गपडिमा, उच्चारशतकी. या, ठाणशतकीया, निसिहाशतकीया, शब्दशतकीया, रुपशतकीया, अन्योन्यशतकीया, प्रक्रीयाशतकीया, भावना अध्ययन, विमुत्ति अध्ययन ॥ निशिथसूत्रके तीन अध्ययन-उग्धाया ( गुरु प्रायश्चित् ) अनुग्धाया ( लघु प्रायश्चित् । आरोपण (प्रायचित्त देने की विधि पापसूत्र-भूमिकंप, उप्पाए, ( आकाशमें उत्पातादिक) सुपन ( स्वप्ना) अंगे ( अंग स्फुरण) स्वरं ( चन्द्रसूर्यादिक) अंतलिख्खे (आकाशादिम चिन्ह ) व्यंजन ( तिलमसादि) लख्खण ( हस्तादिकी रेखा वगेरे ) ये आठ सूत्रसे, आठ वृत्तिसे और आठ सूत्रवृत्ति दोनोंसे, एवम् चोवीस, विकाणुयोग, विजाणुयोग, मंत्राणुयोग, योगाणुयोग, अणतित्यीय पवत्ताणुयोग २९ ॥
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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