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________________ (२४२) शीघ्रबोध भाग ४ था. - गीणती करे, उपयोगशुन्य हो एवं २५ प्रकारको प्रतिलेखन हुइ. इससे न्युन भी न करे, अधिक भी न करे, विप्रोत न करे, जिस्के विकल्प आठ है। सं. ज्यादा. कम. विप्रीत. | सं. ज्यादा. कम. विप्रीत. १ नकरे नकरे नकरे ५ करे नकरे नकरे २ करे नकरे करे ६ करे नकरे करे : ३ नकरे करे नकरे । ७ करे करे नकरे ४ नकर करे करे । ८ करे' करे करे इन आठ भांगासे प्रथम मांगा विशुद्ध है, सात भांगा अशुद्ध है. प्रतिलेखन करते समय परस्पर पाते न करे, च्यार प्रकारको विकथा न करे, प्रत्याख्यान न करे न करावे, आगमवाचनालेना, आगमवाचना देना. यह पांव कार्य न करे अगर करे तो छे कायाके विराधक होते है। . (४) भावसे भंड उपगरणादि ममत्वभाव रहित वापरे, संयमके साधन-कारण समझे। (५) परिष्टापनिका समितिके च्यार भेद है. द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव. जिस्में द्रव्यसे मल, मूत्र, प्रलेष्मादि बड़ी चातुर्यसे परठे. कारण प्रगट आहार-निहार करने से मुनि दुर्लभवोधि होता है। (१) कोह आवे नही देखे नही वहां जाके परठे। (२) कोसी जीवोंको तकलीफ या घात न हो वहां परठे। (३) विषम भूमि हो वहांपर न परठे (४) पोली भूमि हो वहां न परठे कारण निचे जीवादि. (५) सचितभूमिका हो वहाँ न परठे। [ होतो मरे ।
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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