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________________ (२१४) शीघ्रबोध भाग ३ जो. जहां अलौक कि व्याघात है वहां ३-४-५ दिशाका ही पुद्गल लेते है शेष छे दिशा सर्व ७२०० बोल हुवे। . (५) नारकी जो आहारपणे पुद्गल ग्रहन करते है वह क्या सर्व आहार करे. सर्वप्रणमें सर्वउश्वासपणे मर्वनिश्वासपणे प्रणमे तथा पर्याप्ता कि अपेक्षा वारवार आहार करे प्राणमें उश्वासे निश्वासे और अपर्याप्ता कि अपेक्षा कदाच आहारे कदाच प्रणमे. कदाच उश्वासे कदाच निश्वासे ? उत्तरमें बारहा बोल ही करे है : एवं २४ दंडकों में बारहा बोल होनेसे २८८ बोल हुवे । ... (६) नारकी के नैरियों के आहार के योग्य पुद्गल है उनोंसे असंख्यात में भाग के द्रव्यों को ग्रहन करते है ग्रहन कोये हुवे द्रव्योंसे अनंतमें भागके द्रव्य अस्वादन में आते है शेष पुदगल विगर अस्वादन कियेही विध्वंस हो जाते है इसी माफीक २४ दंडक परन्तु पांच स्थावरमें एक स्पर्शेन्द्रिय होनेसे वह विगर स्पर्श कीये अनंत भाग पुदगल विध्वंस हो जाते है। . (६) नारकी देवताओ और पांचस्थावर एवं १९ दंडकोंके आहार पणे पुदगल ग्रहन करते है वह सबके सब आहार करते जीव जो है कारण उनोंके रोम आहार है और बेइन्द्रिय जो आहार लेते है वह दो प्रकारसे लेते है एक रोम आहार जो समय समय लेते है वह तो सव के सब पुदगलों का आहार करते है और दुसरा जो कवलाहार है उनीसे ग्रहन कीये हुवे पुद्गलो के असंख्यातमें भागका आहार करते है और अनेक हजारों भागके पुद्गल विगर स्वाद विगर स्पर्श किये ही विध्वंस हो जाते है जिस्कीतरतमत्ता (१) सर्व स्तोक विगर अस्वादन कीये पुद्गल (२) उनोंसे अस्पर्श पुद्गल अनंत गुणें है एवं तेइन्द्रि परन्तु एक विगर गन्धलिये ज्यादा कहना (१) सर्व स्तोक विगर गन्धके पुद्गल (२) विगर अस्थादन किये पुद्गल अनंत गुणे (३)
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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