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________________ ( २.०८) शीघ्रबोध भाग ३ जो. . (६) नपुंसकवचन-ज्ञान कमल तृण (७) अध्यवसायवचन-दुसरोंके मनका भाव जानना* (८) वर्णवचन-दुसरों के गुण कीर्तन करना (९) अवर्णवचन-दुसरोंका अवर्णवाद बोलना (१० ) वर्णावर्णवचन-पहले गुण पीछे अवगुण (११) अवर्णवर्ण-पहले अवगुण पीछे गुण करना । (१२) भूतकालवचन-तुमने यह कार्य कीया था (१३) भविष्यकालवचन-आखीर तो करनाही पडेंगें (१४) वर्तमान कालवचन-में यह कार्य कर रहा हूं. (१५) प्रत्यक्ष-स्पृष्टता वचन बोलना. ( १६ ) परोक्ष-अस्पृष्टता वचन बोलना. इनके सिवाय प्रश्न व्याकारण सूत्र में भी कहा है कि काललिंग विभक्ति तहत धातु प्रत्यय वचन आदिका जानकार होना परम आवश्यक्ता है। ( १९ ) सत्यअसत्य मिश्र और व्यवहार यह च्यार भाषा उपयोग संयुक्त बोलता भी आराधिक हो सकते है । कारण कीसी स्थानपर मृगादि जीव रक्षाके लिये जानता भी असत्य बोल सक्ते है परन्तु इरादा अच्छा होनेसे वह विराधि नही होते है श्री आचारांगसूत्रमे" जणमाण न जाणु वयेज" (२०) नाम च्यार भाषाके ४२ नाम है । सत्यभाषाके दश भेद हैं (१) जीस देशमें जो भाषा बोली जाति है उनोंको देश * एक वणिक रूइ का भाव तेज हो जानेपर छोटे गामडे मे रूइ खरीदने कों गया. रहस्तेमें तापके मारे पीपासा बहुत लगी थी ग्राममें प्रवेश करते एक ओरत के घर पर जाके कहा की मुझे पीपासा बहुत लगी है रूई पीलाइये. इतनेपर उस ओरत को ज्ञान हुवा की सहरमें रूइका भाव तेज हुवा है उन वहां ही वेठा अपने पतिकों संकेत कर सब रूइ खरीद करवाली इति।
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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