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________________ ( १५६) शीघ्रबोध भाग ३ जो. माने तीन कालकीवात माने निक्षेपाचारोमाने एक शब्द में अनेक. . पदार्थ माने जेसे कीसीने कहाको 'वन' तो उसके अन्दर जीतने वृक्ष लता फळ पुष्प जलादि पदार्थ है उन सबको संग्रल नयवाले ने माना तथा कीसी सेठने अपने अनुचरकों कहाकी जावो तुम दान्तण लावा तो उन संग्रह नयके मतवाला अनुचरने दान्तण काच जल झारी वस्त्रादि पोसाक सब लेके आया-इसी माफीक सेठने कहाकी पत्रलिखना है कागद लावो तो उन दासने कागद कल्म दवात दस्तरी आदि सब ले आया. इस वास्ते संग्रहनयवाला एक शब्दमें अनेक वस्तु ग्रहन करते है जिस्के दाय भेद है १) सामान्य संग्रहनय २) विशेष संग्रहनय । (३) व्यवहारनय-बाह्य दीसती वस्तुका विवेचन करे कारण की जीसका जेसा बाह्य व्यवहार देखे वेसाही उनाका व्यवहार करे अर्थात् अन्तः करणको नही माने जेसे यह जीव जन्मा है यह जीव मृत्युकाप्राप्त हुवा है जीव कर्म बन्ध करते है जीव सुख दुःख भोगवते है पुद्गलोका संयोग वियोग होते है इस निमित कारणसे हमारा भला बुरा हो गया यह सब व्यवहार नयका मत है व्यवहार नयवाला सामान्य के साथ विशेषमाने निक्षेपा च्यार माने तीनो कालकी बात माने जेसे व्यवहारमें कोयल श्याम, शुकहरा, मामलीयालाल, हल्दी पीली. हंस सुफेद परन्तु निश्चय नयसे इन पदार्थो में पांचो वर्ण दोगन्ध पांच रस आठ स्पर्श पावे व्यवहार में गुलाब सुगन्ध-मृत्यश्वान दुर्गन्ध सुंठ तिक्त निंब कठुक आम्लाकषायत. आम्र आबिल, साकर मधुर, करवात कर्कश, ता. लुवा मृदुल, लोहागुरु, अकतूल लघु, पाणी शीतल, अमिउष्ण, घृत स्निग्ध, राख ऋक्ष, यह सब व्यवहारमें मौख्यता गुण बतलाये परन्तु निश्चय में गौणतामें सब बोलोंमें वर्णादि वीस वीस बोल
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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