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________________ शीघ्रबोध भाग १ लो. गाउकी अवगाहना, दो पल्योपमकी स्थिति, शरीरके पांसलीयों १२८ संहनन संस्थान स्त्रि पुरुषोंके शरीर के वर्णन प्रथमाराके माफीक समजना आराके आदिम खांड जेसी भूमिका सरसाई है उत्तरते आरे एक गाउकी अवगाहाना एक पल्योपमकी स्थिति शरीरके ६४ पासलीयों भूमिका सरसाइ गुड जेसी रहेगी उन मनुष्योंको दो दिनोंसे आहारकि इच्छा होगी तब वहही शरीर प्रमाणे आहारकि कल्पवृक्ष पुरती करेंगे, दुसरे आराके युगलनी युगलको जन्म देंगी वह ६४ दिन संरक्षण कर वहही छींक उभासी होतेही स्वर्गगमन करेंगे । इसी माफीक हरीवास रम्य क्वासके युगलोकाधिकार भी समजना। दूसरे आरेके अन्त में तीसरा आरा प्रारंभ होते है तब दुसरे आरेकि निष्पत् अनंते वर्णगन्धरस स्पर्श संहनन संस्थानादि पर्याय हीन होगा। __तीसरा सुखमादुखम आरा दो कोडाकोड सागरोपमका है उस्मेंभी युगल मनुष्यही होते है उनोंका आयुष्य एक पल्योपमका, अवगाहना एक गाउकी, शरीरके पासलीये ६४ होती है शेष शरीरके संहनन संस्थानरूप जोबनादि पुर्ववत् समजना. उत्तरते आरे कोंडपुर्वका आयुष्य पांचसो धनुष्य कि अवगाहना ३२ पासलीयो होती है. एक दिन के अंतरसे आहारकि इच्छा होती है वह कल्पवृक्षपुर्ण करते है भूमिकी सरसाइ गुल जेसी होती है । छे मास पहलेपरभवका आयुष्य बन्धत है वह युगल मनुष्य ७९ दिन अपने वच्चाबच्चीकी प्रतिपालना कर स्वर्गको गमन करते हैं । इन आरामें सुख ज्यादा है और दुःख स्वल्प है इसी माफीक हेमवय, ऐरण्यवययुगल क्षेत्र भी समजना। इन तीसरे आरे के दो विभाग तो युगलपने में ही व्यतित हुवे जीस्का वर्णन उपर कर चुके है । अब जोतीसरा विभाग रहा है उनोंका वर्णन इस माफी है । जेसे जेसे काट के प्रभाव
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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