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________________ (५८) शीघ्रबोध भाग १ लो. (२९) व्रतोसे गीरजानेपरभी चेतजानेसे “ परम" अर-- णिकमुनिकी माफीक । (श्री आवश्यक सूत्र ) . (३०) आपत्त आनेपरभी धैर्यता रखनेसे 'परम० ' खंधक मुनिकी माफोक । (श्री आवश्यक सूत्र ) (३१) जिनराज देवोंकि भक्ति और नाटक करनेसे जीवोंके ‘परम० ' प्रभावती राणीकी माफीक ( श्री उत्तराध्ययन सूत्र) (३२) परमेश्वरकी त्रिकाल पुजा करनेसे जीवोंके 'परम०' शान्तिनाथजीके पुर्वभव मेघरथ राजाकी माफीक (शान्तिनाथ चरित्र ) (३३) छती शक्ति क्षमा करनेसे जीवोंके ‘परम०' प्रदेशी राजाकी माफीक ( श्री रायपसेनी सूत्र ) (३४) परमेश्वरके आगे भक्ति सहित नाटक करनेसे 'परम०' रावण राजाकी माफीक (त्रिषष्ठीशलाका पुरुष चरित्र) (३५) देवादिके उपसर्ग सहन करनेसे 'परम० ' कामदेव श्रावककी माफीक ( श्री उपासक दशांग सूत्र) (३६) निर्भाकतासे भगवानको वन्दन करनेको जानेसे परम' श्री सुदर्शन शेठकी माफीक (श्री अन्तगड दशांग सूत्र ) (३७) चर्चा कर वादीयोंको पराजय करनेसे 'परम' मंडुक श्रावककी माफीक (श्री भगवती सूत्र ) (३८ ) शुद्ध भावोंसे चैत्यवन्दन करनेसे जीवोंके 'परम०' जगवल्लभाचार्यकी माफीक ( पुजा प्रकरण ) (३९) शुद्ध भावोंसे प्रभुपुजा करनेसे जीवोंके ‘परम" नागकेतुकी माफीक ( श्री कल्पसूत्र ) (४०) जिनप्रतिमाके दर्शन कर शुभ भावना भावनेसे ‘परम०' आर्द्रकुमारकी माफीक ( श्री सूत्र कृतांग)
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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