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________________ ७. नाटकपरिभाषा-शिंग (सिंह) भूपाल । ८. नाटकचन्द्रिका-रूपगोस्वामी ६. नाव्यप्रदोप-सुन्दर मिश्र । आदि ये रचनाएँ ईसा पूर्व पाँचवी शती से लेकर ईसा की सोलहवीं शती तक हुई हैं । इन ग्रन्थों में भरत के नाटयशास्त्र पर जिन प्राचायों ने टीकाएं लिखी हैं उनमें-भट्ट उद्भट, भट्ट लोल्लट, श्रीशंकुक, भट्ट नायक और आचार्य अभिनव गुप्त आदि प्रमुख हैं। आजकल इनमें से अभिनव गुप्त कृत 'अभिनव-भारती' टीका ही उपलब्ध और सर्वत्र सम्मानित है। प्राचार्य विधेश्बर तथा प्रो. बाबूलाल शास्त्री ने हिन्दी भाष्यों से भी इसे अलङ्कृत किया है। २. केवल अलङ्कार-विधानमूलक ग्रन्थ और ग्रन्थकार १. काव्यालङ्कार-सारसङ्ग्रह-उद्भट २. अलङ्कार सर्वस्व-रुय्यक ३. अलङ्कार-रत्नाकर-शोभाकर मिश्र ४. कुवलयानन्द--अप्पय दीक्षित ५. अलङ्कार-दीपिका-पाशाधर भट्ट ६. अलङ्कार-कौस्तुम-विश्वेश्वर ७. अलङ्कार-सुक्तावली-विश्वेश्वर ८. अलङ्कार-प्रदीप- , एवं अन्य ग्रन्थ इस दृष्टि से उत्तरकाल में लिखे गए ग्रन्थों में कुछ ग्रन्थ केवल शब्दालङ्कार अथवा उसके चित्र-काव्यमूलक भेदों को व्यक्त करने की दृष्टि से उदाहरण प्रधान भी लिखे गए हैं और कुछ केवल अर्थालङ्कार. अथवा उनके कतिपय भेदों की विवेचना को लक्ष्य में रखकर लिखे गए हैं। ३.काव्यलक्षण से अलङ्कार पर्यन्त विवेचक ग्रन्थ और ग्रन्थकार १. काव्यालङ्कार-भामह २. काव्यादर्श-दण्डी ३. काव्यालङ्कार-सूत्र-वामन ४. काव्यालङ्कार-रुद्रट ५. अग्निपुराण-वेदव्यास ६. विष्णुधर्मोत्तरपुराण-वेदव्यास ७. श्रृंगार-प्रकाश-भोजराज ८ सरस्वती-कण्ठामरण-भोजराज' ६. काव्यप्रकाश-मम्मट १०. काव्यानुशासन-हेमचन्द्र ११. वाग्भटालङ्कार-वाग्भट (प्रथम) १२. चन्द्रालोक-जयदेव १३. अलङ्कार-चिन्तामणि-अजितसेन १४. एकावली-विद्याधर ".प्रतापरुद्रयशोभूषण-विद्यानाथ १६. साहित्यदर्पण-विश्वनाथ १७. श्रृंगारार्णवचन्द्रिका-विजय वणों १८. अलङ्कारशेखर--केशव मिश्र १६. अलङ्कारकौस्तुभ-करणपूर २०. काव्यचन्द्रिका-कविचन्द्र २१. रसगङ्गाधर-जगन्नाथ २२. नजराजयशोभूषण-नरसिंह । कवि आदि इनके अतिरिक्त भी यह परम्परा आगे बढ़ती रही है। किन्तु इनमें कभी किसी ने किसी एक विषय को अधिक तो कभी किसी ने न्यून बनाकर विवेचन किया है। साथ ही यत्र तत्र कुछ विषयों को घटाया-बढ़ाया भी गया है जिनमें नाट्य-शास्त्रीय अङ्ग, रस और ध्वनि आदि के वर्णन प्रमुख हैं। ४. केवल रस-विवेचक ग्रन्थ और प्रन्थकार १. शृंगारतिलक-रुद्र भट्ट २. रसतरङ्गिणी-भानुदत्त ३. रसमञ्जरी-भानुदत्त 1. भक्तिरसारणव-रूपगोस्वामी ५. उज्ज्वलनीलमरिण-रूपगोस्वामी ६. रसचन्द्रिका-विश्वेश्वर १-ऐसे शब्दालङ्कार-परक तथा चित्रालङ्कार-परक प्रन्थों का समीक्षात्मक परिचय हम अपने डी.लिट. के शोध-प्रबन्ध 'शब्दालङ्कार-साहित्य का समीक्षात्मक सर्वेक्षण' में दे रहे हैं।
SR No.034217
Book TitleKavya Prakash Dwitya Trutiya Ullas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharti Jain Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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