SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 304
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्तमः ]. भाषाटीकासहितः । ( २८३ ) कटुतैलान्विते लेपात्सर्पकंचुकभस्मभिः ॥ २ ॥ रयः शाम्यति गण्डस्य प्रकोपात्स्फुटति ध्रुवम् ॥ ३ ॥ शाणमूलकशिग्रूणां फलानि तिलसर्षपाः । रामः किण्वमलसीप्रदेहः पाचनः स्मृतः ॥ ४ ॥ दन्तीचित्रकमूलत्वक्स्नुवर्क पयसा गुडैः । भल्लातकास्थि कासीससैन्धवैर्दारुणः स्मृतः ॥ ५ ॥ कपोतकं गृध्राणां मललेपेन दारुणः ॥ ६ ॥ दूर्वाभया सैन्धवैश्व चक्रमर्द कुठेरका | निशातत्रयुतो लेपः कण्डूदद्रुविनाशनः ॥ ७ ॥ चक्रहसर्षपयुक्ति कुष्ठं वावचिकारजनीद्वयतक्रम् | हन्ति विचर्चिक मण्डलदद्रूर्वर्षशतान्यपि नश्यति कण्डूः ॥ ८ ॥ पलाशपर्पटं घृष्ट्वा लेप्यं निम्बुरसेन वा । गुआदाली चित्रकं च प्रपुन्नाटजटाऽथवा ॥ ९॥ प्रपुन्नाटस्य वीजानि धात्री सर्जरसो निशा । लेपः सर्पपतैलेन घृष्ट्वा दद्रुविनाशनम् ॥ १० ॥ सरसों, सिरसके बीज, सनके बीज, अलशी, मूलीके बीज इनको मट्ठे में पीसकर लेप करनेसे गंडमाला, अर्बुद, गांठ दूर होवे । सांपकी कांचीकी राख कडुवे तेल में मिलाकर लगाने से गंडमाला जाय अर्थात् फूटजाय, सनके बीज, मूली के बीज, सहँजने की फली, तिल, सरसों, हींग, सुराबीज, अलशी इनका लेप करनेसे पकजाय | जमालगोटा, वीतेकी जड और छाल, थूहरका दूध, आकका दूध, गुड, भिलावेकी मिंगी, कसीस, सैंधानोन इनका लेप करने से गंडमाला Aho ! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy