SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 291
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ योगचिन्तामणिः । [ मिश्राधिकारः - क्रजम्बीरविमर्दितानाम् | अहिफेनपिप्पल्यविषत्रपाणां पलं पलं दन्तिफलान्वितानाम् ॥ २ ॥ समस्तमेकी कृतमत्र चूर्ण दिनत्रयं चित्रकवारि पूर्णम् विशुष्कभृङ्गारसकाकतुंडीस्नुह्यर्कधूतामरदारुमुण्डी || ३ | किरात भल्लात निकुंभ कुम्भाकुठे वीराकरवीररम्भा || ४ || बला त्रिवृन्नागवल्ल्या - खुकर्णी कटुत्रिकं शीतिशिवादिकर्णी । यासोऽमृताकाण्डरुहासला विंशो वृपाक्ष च रुजः सगुआ || ५ || अमीभिरुच्चाभुजगार्तियुक्तैर्वराहगोधा शिखिमीन पित्तैः । पृथक् पृथक्साधितमेवमस्यां दृढे पुढे ताम्रमये विपक्कम् ॥ ६ ॥ सुशीतमुद्धृत्य मुपेपणीयो रसो हि मृत्युञ्जयनामधेयः ॥७॥ • ( २७० ) मूंगा, मोतीचूर, हीरा, चांदी, सोना, तांचा, अभ्रक, गन्धक, मोम, वंग, मनशिल और हरताल ये सब एक एक पल और पारा ७ भाग, शंख, कौडी ये चार चार पलले इनको मट्ठा और जंबीरकि रसमें घोटे । फिर तेलियामीठा, अफीम और पीपल, दन्ती, जमालगोटा प्रत्येक १ पल ले एकत्र चूर्ण कर दो दिन चीते के काटेमें मर्दन करे | जब सूख जाय तब भांगरेका रस. काकतुंडीका रस, सेहुँड, आक, धतूरा, देवदारु, गोखरू, मुण्डी, चिरायता, भिलावा, ममालगोटा, नागहूली, वनतुलसी, कांकनेर, केला, खिरेंटी, निसोथ, गंगेरन. मूसाकर्णी, सोंठ, मिरच, पीपल, सैंधानोन, विष्णुकांता, जवासा, गिलोय, कुटकी, लज्जावन्ती, अडूसा, भृङ्गराज चिरमिटी एवं सूअर, गोह, मोर, मछली इनका पित्ता इन सबको अलग २ Aho ! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy