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________________ पिंगलारुते संकीर्णप्रकरणम् । नभोध्वनिः प्राग्वडिमश्च पश्चाचिंतामहात्रासकलन्किरोति ॥ आप्यात्परं मारुतजे तु जाते भवंति रोगाः शुभजीवनाशाः॥ . ॥ १५७॥ आप्यात्परं तैजसकृत्सकृयः स पिंगलो वित्तविनाशकर्ता ॥ तथातिसौहार्दवशीकृतानि भवंति मित्राणि कुतोऽप्यमित्राः ॥१५८॥ आदौ खगो मैथुनमुत्तरं च ध्वनि विधत्ते यदि पार्थिवाख्यम् ॥ तत्पूर्वनष्टं कथयंति कार्य कायी मृतो वेति विनिश्चयज्ञाः ॥१५९॥ भौमादूर्द्ध व्योमशब्दे र्थलाभः स्याद्वायव्यात्तैजसे भंगमृत्यू ॥ आप्यादृर्द्ध नाभसे स्थानहानिः संगः साई जायते दुर्जनैश्च ॥ १६० ॥ ॥ टीका॥ करोति वामगतस्तु मृत्यु दक्षिणगः पुनः रोगं करोति ॥ १५६ ॥ नभ इति ॥ प्राड्नभोध्वनिः स्यात्पश्चादडिमः पार्थिवः स्यात्तदा चिंतामहावासकली. करोति आप्यात्परं मारुतजे स्वरे जाते रोगाःशुभजीवनाशाः स्युः ॥ १५७ ॥ आप्यादिति ॥ यः सकृदाप्यात्परं तैजसस्वरकृद्भवति स पिंगलश्चित्तविनाशकर्ता स्यात् तथा सौहार्दमनोहराणि मित्राणि कुतोऽपि कारणवशादमित्राः शत्रवो भवंति ॥ १५८ ॥ आदाविति ॥ यदि आदौ खगः मैथुनं करोति तदुत्तरं पार्थिवाख्यं ध्वानं विधत्ते तदा निश्चयज्ञाः पूर्व नष्टं कार्य कथयंति कोऽसौ निश्चयः यं जानंतीत्यपेक्षायामाह कार्यो मृतो वेति अयमेव निश्चयः ॥ १५९ ॥ भौमादिति ॥ भौमादूर्द्ध व्योमगेऽर्थलाभ: स्यात् वायव्यादनंतरं तैजसे भंग ॥ भाषा॥ अर्चन कियो मात्र पिंगल पक्षी सम्मुख आवे तो वध बंधन करे. वामभागमें आवे तो मृत्यु करे. और दक्षिणभागमें आवे तो रोग करै ॥ १५६ ॥ नभ इति ॥ पहले तो आकाश शब्द करे. पीछे वडिम नाम पृथ्वी शब्द करे तो चिता महात्रास कलह करै. और जल शब्द करै पीछे मारुतते हुयो शब्द करे तो रोग और शुभ जीवनको नाश करै ॥ १५७ ॥ आप्यादिति ॥ एक पोत जल शब्द करै ता पीछे तैजसस्वर बोले तो पिंगल वित्तको विनाश करै, और मित्र शत्रु होय जांय ॥ १५८ ॥ आदाविति ॥ जो पिंगल प्रथम मैथुन करे ता पीछे पार्थिव शब्द करे तो पूर्वतो कार्यकू नष्ट कर पीछे जाको कार्य होय वो मरजायः॥ १५९ ॥ भौमादिति ॥ भौमशब्दकर पीछे आकाश शब्द कर Aho ! Shrutgyanam
SR No.034213
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandra Gani
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1828
Total Pages606
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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