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(२४८)
वसंतराजशाकुने-अष्टमो वर्गः।
॥ इति पुष्पभूष्यादयः॥ वामः श्रियं यच्छति पृष्ठतश्च पारावतो दक्षिणतोऽतिभीत्यै ॥ शस्तौरलाकर्णियकौ च वामौसवल्गुला चर्मचटौ प्रयाण।।४७॥
॥ इति पारावतादयः॥ वामेऽथ पृष्ठे फलमादधाति युद्धं पुरो दक्षिणतश्च हानिम् ॥ गोवत्सको दर्शननिस्वनाभ्यां क्रूरस्वरोसौ कलिकृत्सदैव॥४८॥
॥ टीका॥ देशांतरप्रसिद्ध पुष्पभूषी कृष्णवर्णा सूक्ष्मबिंदुयुक्ता लघुचटिका पर्यदिका कोकिलसदृशा अन्यत्र डांपुल इति कुत्रचिद्भुजंग इति ॥ ४६ ॥
इति पुष्पभूषीपर्यदिके । ॥ वाम इति ॥ पारावतः पारेवो इति लोके प्रसिद्धः वामः पृष्ठतश्च श्रियं यच्छति दक्षिणतः अतिभीत्यै भवति तथा रलाकर्णियको सवल्गुलाचर्मचटौ प्रयाणे शस्तौ शोभनौ स्तः तत्र रलाकर्णियको परदेशप्रसिद्धौ वल्गुलिका बागलि इति लोके प्रसिद्धा चर्मवटः कनुर इति प्रसिद्धः ॥४७॥
इति पारावतादयः ॥वामे इति॥ गोवत्सकः वामे च पृष्ठे फलमादधाति फलं करोतीत्यर्थः पुरः
॥ भाषा॥ और पर्यदिका जेमनी होय तो शुभ है. और प्रवेशमें संपूर्ण विपरीत करके शुभ है. और पुष्प भूषी नाम लघुचटिका कृष्णवर्णा छोटे छोटे बूंद करके युक्तहोय है. और पर्यदिका कोकिलकी तुल्य होयहै. कहूं वाकू डांपुल नाम कहैहैं. कोई भुजंग कहेंहैं ॥ ४६॥
॥इति पुष्पभूषीपर्यदिके। ॥वाम इति ॥ पारावत नाम पारेब कबूतर इति प्रसिद्धं पारावत वामभागमें और पिछाडी होय तो स्त्री देवे और जेमने भागमें होय तो अति भीति करै. और रला कार्णयक ये दोनों वामभागमें शुभहैं. और वल्गुला याकूबागुलभी कहै हैं. और चर्मचट ये चलती पोत प्रयाण समयमें शुभ हैं ॥ ४७ ॥
॥ इति पारावतादयः ॥ ॥ वामेइति ॥ गौको बछडा बायो वा पीठपीछे दीखै या शब्द करै तो शुभफल करें और अगाडी होय तो युद्ध करावै. और जेमनेमाऊं होय तो हानि करै. जो क्रूरशब्द करें
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