SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्न २५:-कार्तिक सेठ और गैरिक तापस के सम्बन्ध में ऐसा कहा जाता है कि गैरिक तापस ने द्वेष वश कार्तिक सेठ की पीठ पर थाल रखकर भोजन किया, यह शास्त्र सम्मत है या नहीं उत्तरः-यह कथन भ्रान्तिमूलक ही है, जबकि “ सनत्कुमार चक्री के पुरातन तृतीय भव में जिन धर्म नामक श्रावक की पीठ पर थाल रखकर अग्नि शर्मा नामक तापस ने भोजन किया, उससे वे दोनों शक्र एवं ऐरावण हुए" इस प्रकार सम्बन्ध सादृश्य से भ्रम वश इस सम्बन्ध में भी किसी आधुनिक कल्प वृत्ति में उक्त कथन दिखाई देता है, परन्तु आवश्यक वृत्ति, पञ्चाशक विवरण एवं ऋषि मण्डल की वृत्ति आदि प्राचीन ग्रन्थों में ऐसा कथन नहीं मिलता है। उनमें तो यह कहा है कि कार्तिक सेठ ने राजा की आज्ञा से गैरिक तापस को अपने हाथों से भोजन कराया उससे गैरिक तापस ने द्वेष वश नाक के ऊपर तर्जनी अंगुली घुमाकर सेठ को पराजित किया। इतना ही कहा है। आवश्यक बृहद् वृत्ति का पाठ संक्षेप में इस प्रकार है। "तो पच्छाणेण परिवेसियं सो परिवसिज्जते अंगुलिं चालेति किहने ।" -बाद में राजा की आज्ञा से सेठ ने भोजन परोसा एवं परोसते समय तापसने नाक ऊपर तर्जनी अगुली घुमाई । प्रश्न २६:-देव और असुर जब परस्पर युद्ध करते हैं, उस समय उनके शस्त्र किस प्रकार के होते हैं ? Aho! Shrutgyanam
SR No.034210
Book TitlePrashnottar Sarddha Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamakalyanvijay, Vichakshanashreeji
PublisherPunya Suvarna Gyanpith
Publication Year1968
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy