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________________ (२०) 1 ४) संवत् १८५० फाल्गुरण बदि ३ ५) संवत् १८५६ असाढ़ सुदि ५ ६) संवत् १८६६ काती जयनगरे, श्राविका फूलां बाइ श्राविका चंपेली मगनीराम व्रत ग्रहरण बाफरणा गौstara पुत्र परमानंद १८५४ अ० व० जयनगर सुराणा 3 १२ व्रत । १८६६ जे० व० ३ सिद्ध क्षेत्र लूणिया तिलोकचंद १२ व्रत ग्र० ७) संवत् १८६६ मिगसर वदि १०, बीकानेर, श्राविका चांपाबाई -- तीर्थ यात्रा आपके रचित स्तवनादि से आपने अनेक तीर्थों को यात्रा की, ज्ञात होता है । जिनमें मुख्य ये हैं १) शत्रु जय सम्वत् १८५४ चैत्र सुदि ८, सं० १८६६ वै. सु. २ २) गिरनार संवत् १८५४ मिगसर सुदि ६, संवत् १८६६ चैत्री पूनम ३) आबू, सं० १८३४ जेठ सुदि १ ४) संखेश्वर, सं० १८६६ फाल्गुण सुदि १५, सं० १८२६ माघ वदि ३ ५) नाकोड़ा (महेवा ) संवत् १८३४ बैशाख बंदि ५ ६) घोघा नवखंड पार्श्वनाथ संवत् १८३० ७) लोद्रवा, संवत् १८३६ फाल्गुन वदि ६, संवत् १८५८ ८) पावापुरी, संवत् १८४७ माघ वदि २, संवत् १८४८ पौ सुदि १५ ६) सम्मेत शिखर, संबत् १८४३फाल्गुरण वदि ११ १०) श्रीपुर अंतरिक्ष पार्श्वनाथ, संवत् १८५५ फाल्गुन वदि १२ ११) जैसलमेर, देवोकोट, जोधपुर, ग्रहमदाबाद, सूरत, बालुचर, महिमापुर, पाडलीपुर, महाजनटोली, मकसूदाबाद, देसगोक, बुरहानपुर, अजमेर, दिल्ली, अजीमगंज, फलवद्धी, Aho ! Shrutgyanam
SR No.034210
Book TitlePrashnottar Sarddha Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamakalyanvijay, Vichakshanashreeji
PublisherPunya Suvarna Gyanpith
Publication Year1968
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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