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________________ तेषामन्ते स्थिता भूमि भित्ती रोद्ध मिवार्णवम्॥२५॥ तत्रैव जगती भित्तिर्जयन्त द्वार राजिता । ऊर्ध्व स्थिताऽधोग्रामाणां दिट्टक्षरिव कौतुकम् ॥२॥ शीतोदाऽपि तत्रीस्वभावा, दिवाऽधोगामिनीकमात् । योजनानां सहस्र षु, याति भिचा जगत्यधः ॥२७॥ इन श्लोकों का अर्थ ऊपर की पंक्तियों में व्यक्त किये गये समाधान में आ गया है । प्रश्न १३४--पुष्करार्ध द्वीप में मानुषो र पर्वत की ओर जो प्रवाहशील नदियाँ हैं उनका जल कहाँ जाता हैं ? क्योंकि उनके आगे समुद्र का अभाव है एवं मानुषोत्तर पर्वत वलयाकार में चारों ओर स्थित है ? उत्तर -- उन नदियों का जल मानुषोत्तर पर्वत के नोचे के प्रदेशों में जाता है। ऐसा क्षेत्र समास सूत्र वृत्ति में कहा है :-- यथाः -तह इह बहिमुह सलिला पविसंति. य नरगस्स अहोत्ति" पुष्कराध क्षेत्र में मानुषोत्तर पर्वत की ओर बहने वाली नदियों का जल आगे समुद्र का अभाव होने से मानुषोत्तर पर्वत के नीचे जाता है । त्र में कहीं ऐसी गाथा देखने में आती क -- Aho! Shrutgyanam
SR No.034210
Book TitlePrashnottar Sarddha Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamakalyanvijay, Vichakshanashreeji
PublisherPunya Suvarna Gyanpith
Publication Year1968
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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