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________________ प्रश्न १३३ - मेरु पर्वत की पश्चिम दिशा मैं समभूतल पृथ्वी से लेकर क्रम से नीची जाती हुई भूमि, नालिनावती एवं श्रविजय नाम के क्षेत्र में एक हजार ऊडी (नीची) हो जाती है । वहां के जितने भी ग्राम हैं वे अधोग्राम कहलाते हैं उस प्रदेश में शीतोदा नदी भी समभूतल की अपेक्षा से एक हजार योजन नीचे बहती है एवं जयन्त नाम के द्वार से मुक्त जगती एवं समुद्र ये दोनों नदी के अपेक्षा से एक हजार योजन ऊपर ( ऊंचे ) हैं । ऐसी स्थिति में जगती किसके ऊपर स्थित है तथा शीतोदा नदी का जल समुद्र में कैसे प्रवेश करता है ? ( १६५ ) होते हैं । यही कथन अन्य स्थान पर भी युगलिकाधिकार में भी है । उत्तर अधोग्रामों के अन्त में एक हजार योजन ऊंची भूमि भिति ( दीवाल) है । उसके ऊपर जयन्त नामक द्वार से युक्त जगती की दीवाल है तथा शीतोदा नदी भी जगनी के नीचे की एक हजार योजन की दीवाल को भेद कर समुद्र में प्रवेश करती है । जैसा कि लोक प्रकाश के सप्तदशमम (१७ वें ) सर्ग में कहा है:-- विजये नलिनावत्यां वप्राख्ये चान्तवर्त्तिनः । सहस्रयोजनान्युण्डा ग्रामा भवन्ति केचन ॥ २४ ॥ तनोऽधलौकिकग्रामा इति ख्यातिमैयसः । Aho ! Shrutgyanam -17
SR No.034210
Book TitlePrashnottar Sarddha Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamakalyanvijay, Vichakshanashreeji
PublisherPunya Suvarna Gyanpith
Publication Year1968
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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