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________________ भावप्रकाश निघण्टुः भा. टी. । तेजवती । तेजस्विनी तेजवती तेजोह्वा तेजनी तथा । तेजस्विनी कफश्वासकासास्यामय वातहृत् ॥ १७२॥ पाचन्युष्णा कटुस्तिक्ता रुचिवह्निप्रदीपनी । ( ३८ ) तेजस्विनी, तेजवती तेजोवा, तेजनी यह तेजवतीके संस्कृत नाम हैं । . इसे हिन्दीमें तेजोवती और अंग्रेजी में Toothache Tree कहते हैं । तेजस्विनी - पाचन करनेवाली, गरम, कटु, तिक्त, रुचिकर, अग्रिदीपक तथा कफ, श्वास, कास, मुखरोग तथा वायुको हरण करती है ।। १७२ ॥ ज्योतिष्मती । ज्योतिष्मतीस्यात्कटभीज्योतिष्काकंगुनीतिच १७३ पारावतपदी पण्या लेता प्रोक्ता ककुंदनी । ज्योतिष्मती कटुस्तिक्ता सरा कफसमीरजित् १७४ अत्युष्णा वामनी तीक्ष्णा वह्निबुद्धिस्मृतिप्रदा । ज्योतिष्मती, कटभी, ज्योतिष्का, कंगुनी, पारावतपदी, पण्या, लता, ककुंदनी यह ज्योतिष्मतीके नाम हैं। हिन्दी में इसे मालकंगनी, फारसीमें काल और अंग्रेजी में Staff Trec कहते हैं । मालकंगनी - कटु, तिक्त, दस्तावर, बात तेथा कफको नष्ट करनेवाली, बहुत गरम, बमनकारक, तीक्ष्ण तथा अग्नि, बुद्धि और स्मृतिको बढाती है ।। १७३ ।। १७४ ॥ कुष्ठम् । कुष्ट रोगाह्वयं वाप्यं परिभाव्यं तथोत्पलम् ॥ १७५ ॥ कुष्ठमुष्णं कटु स्वादु शुक्रलं तिक्तकं लघु । हंति वातास्रवीसर्पकास कुष्ठमरुत्कफान् ॥ १७६ ॥ ! कुष्ठ, रोगाहय, वाप्य, परिभाव्य तथा उत्पल यह कुष्ठके संस्कृत
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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