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________________ हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (१३३) केशरंजन यह भांगरेके नाम हैं। भांगरा-कटु, तिक्त, रूक्ष, उष्ण, कफवा तनाशक, केशवर्द्धक, त्वचाको हितकारी तथा कृमि, श्वास, कास, शोष, पाम, पाण्डु, कुष्ठ,नेत्र और शिरके विकारोको दूर करता है। दांतोंके लिये हितकारी, रसायन और बलवर्द्धक है। इसे फारसीमें जमदर, अंग्रेजीमें Traling Ebipat कहते हैं ॥ २४५-२४७ ॥ शणपुष्पी। शणपुष्पी स्मृता घंटारवा शणसमाकृतिः। शणपुष्पी कटु तक्ता वामनी कफपित्तजित्॥२४८॥ शणपुष्पी, घण्टारवा, शणसमाकृति यह शणपुष्पीके नाम हैं। शणपुष्पी-कटु, तिक्त, वमनकारक और कफ पित्तको जीतनेवाली है। इसको हिन्दीमें वनछुनछुना, फारसीमें लादना अंग्रेजीमें Flax Hemg कहते हैं ॥ २४८॥ त्रायमाणा। बलभद्रा त्रायमाणा त्रायंती गिरिसानुजा। त्रायंती तुवरा तिता सरा पित्तकफापहा ॥ २४९ ॥ ज्वरहृद्रोगगुल्मार्शोभ्रमशूलविषप्रणुत् । बलभद्रा, त्रायमाणा, वायंती और गिरिसानुजा यह त्रायमाणके नाम हैं। वायमाण-कसैली, तिक्त, दस्तावर, पित-कफनाशक तथा ज्वर, हृद्रोग, गुल्म, अर्श, भ्रम, शूल और विषविकारको दूर करती है॥२४९॥ मूर्वा मूर्वा मधुरसा देवी मोरटा तेजनी खुवा ॥ २५० ॥ मधूलिका मधुश्रेणी गोकर्णी पीलुपर्ण्यपि । मूर्वा सरा गुरुः स्वादुस्तितापित्तास्रमेहनुत्॥२५॥ त्रिदोषतृष्णाहृद्रोगकंडुकुष्ठज्वरापहा । मूर्वा, मधुरसा, देवी, मोरटा, तेजनी, सुवा, मधूलिका, मधुश्रेणी, गोकर्णी, पीलुपर्णी यह मूर्वा के नाम है। भू-दस्तावर, भारी, स्वादु,
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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