SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ 6 ] आसपास रत्नसिंहरिके शिष्य चारित्र सुन्दर गणिने इसको बनाया है इसमें भी मूलराजसे लगाकर कुमारपाल तक के सांलकियोंका इतिहास है. (२७) उपदेश सप्ततिका - इस ग्रन्थके कर्ता सोम धर्म गणि हैं यह ग्रन्थ भी उपदेश तरंगिणी की तरह कितनेक अंशा में ऐतिहासिक रीत्या उपयोगी है इस ग्रन्थकी संवत् १४२२ में रचना हुई है । (२८) गुर्वावली - इसके कर्ता हैं मुनि सुन्दरसूरि । यह ग्रन्थ वि. सं. १४६६ में बना है । (२९) कुमारपाल प्रबन्ध - इसके रचयिता है श्रीमान् जिनमंडल उपाध्याय वि. सं. १४९२ में इसको बनाया है. (३०) महावीर प्रशस्ति - वि० सं० १४९५ में श्रीमान् चारित्रta गणिने इसको बनाया है । इस ग्रन्थमें चित्रकूट के महावीर स्वामी के मंदिर की प्रशस्ति है । (३१) पंचाशति प्रबोध संबन्ध श्रीमान् शुभशील गणिने वि० सं. १५२१ में इसको बनाया है Aho! Shrutgyanam
SR No.034195
Book TitleGirnar Galp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherHansvijay Free Jain Library
Publication Year1921
Total Pages154
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy