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________________ [ ७९ ] सं. १३७१ में इसको बनाया है इस ग्रन्थ में समराशाह तथा सहजाशाह के जीवन चरित्र हैं येह दोनों देशलके पुत्र थे. (२०) महामोह पराजय नाटक - यशः पाल मंत्री - ने अजयपाल के राज्यमें इसको बनाया है. (२१) कुमुदचन्द्र प्रकरण - इसके कर्ता हैं श्रीमान् न्द्र | इसमें वादि देवसूरि और पं. कुमुचन्द्रका संवाद दिया गया है । (२) प्रबन्धकोश - इसको चतुर्विंशति मबन्ध कहते हैं । गलधारी श्रीमान् राज शेखर सूरिने वि. सं. १४५ में इसको बनाया है. (२३) कुमारपाल चरित्र - इसको श्रीमान् जयसिंहसूरिने वि० सं. १४२२ में बनाया है. (२४) कुमारपाल चरित्र - इसके कर्ता हैं श्रीमान् सोमतिलकसूरिने वि. सं. १४२४ के आसपास इसको रचा है। इसमें भी उन्हीं राजाओंका वृत्तान्त हैं । (२५) कुमारपाल चरित्र - चांदवी शताब्दी के Aho ! Shrutgyanam
SR No.034195
Book TitleGirnar Galp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherHansvijay Free Jain Library
Publication Year1921
Total Pages154
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
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