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________________ कालमुखीस्थापना ३ उत्तरात्रक अनुराधा इदं नारचन्द्र टिप्पन के । तथा 66 ४ ५ प्रथम विमर्शः ३ उत्तरा ३ कृत्तिका अनुराधा मूलद्द साइचित्ता अस्सेल सगभिसय कत्ति रेवइया । नंदा १ भद्दाए भद्दवया फग्गुणी दो दो २ ॥ १ ॥ बिजभार मिगसुर अभिह पुस्ससिणि भरणिजिठ्ठ ३ रित्ताए । आसाढदुग विलाहा अणुराह पुणग्वसुमहा य ४ ॥ २ ॥ पुन्ना करधणिठ्ठा रोहिणि ५ इअमयगवत्थनख्खत्ता । नंदिप पट्टामुहे चोराउहरायपीडकरा ॥ १ ॥ इति दिनशुद्धौ । तथा मघा ५ कृत्तिका शनि ५ मधा .६ रोहिणी “ कत्तिअपभिई चउरो सणि बुहि ससि सूरवार जुत्तकमा । पंचमि बि एगारसि बारसि अबला सुद्दे कजे " ॥ १ ॥ अबलयोग स्थापना --- रोहिणी बुध २ मूल - हस्त मृगशिर चन १ ८ रोहिणी आर्द्रा रवि १२ ४१ तथा ऋतुभेदाच्छुभाशुभयोगा एवम् - " कत्ति उ मग्गसिरेऽमि अ पंचमि गुरुवार पुणव्वसू चेव । सुहयाउ हुंति सरए अद्दा दसमी कुजे असुहा ॥ १ ॥ पोसे माहे छठ्ठी भिगुत्तराफग्गु अकजकरा । असुह इगारसि गुरुणा फग्गुणि पुव्वाय हेमंते ॥ २ ॥ Aho! Shrutgyanam
SR No.034191
Book TitleArambh Siddhi Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Jitendravijay
PublisherLabdhisuri Jain Granthmala
Publication Year1942
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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