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________________ आभारदर्शन " प्रातःस्मरणीय पूज्यपाद परमशासनप्रभावक सूरिसार्वभौमजैन. रत्न व्याख्यानवाचस्पति कविकुलकिरीट आचार्यश्रीमद्विजयलब्धिसूरीश्वरजी माहाराजके सुपट्टप्रभावक जैनाचार्य श्रीमद्विजयगंभीरसूरीश्वरजी महाराजने श्रीआरम्भसिद्धि ग्रन्थको प्रकाशित करवानेमें भरसक प्रयत्न किया है, और उन्हींका कठिन परिश्रम है कि आज यह ग्रन्थ हमारे हाथमें है, इसलिये मैं उनका खास आभार मानता हूं. साथही व्या० वा० पूज्यपाद जैनाचार्य श्रीमद्विजयलब्धिसूरीश्वरजी माहाराजके शिष्य पन्यासप्रवर श्रीप्रवीणविजयजी महाराजके शिष्य मुनिप्रवर श्रीमहिमाविजयजी महाराजके शिष्य मुनि श्रीजितेन्द्रविजयजी महाराजने अपना अमूल्य समय देकर इस ग्रन्थके संशोधनमें भारी परिश्रम किया है, उसके लिये भी मैं उक्त मुनिश्रीका आभार मानता हुं. साथहीसाथ उक्त मुनिश्रीके कार्य में मुनिराज श्रीहेमेन्द्रविजयजी, मुनिराज श्रीविक्रमविजयजी, मुनिराज श्रीललिताङ्गविजयजी महाराज आदिने भी अच्छा सहयोग प्रदान किया हैं, अत एव इसके लिये उनकाभी मैं आभार मानता हुं. -: निवेदक :चंदुलाल जमनादास. मु. छाणी Aho! Shrutgyanam
SR No.034191
Book TitleArambh Siddhi Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Jitendravijay
PublisherLabdhisuri Jain Granthmala
Publication Year1942
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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