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________________ वि. प्र. अ. जाय- और जो सपके समान हो वह पुत्र पोचोंके नष्ट करनेवाली है, जो वंशकी समान हो वह वंश नष्ट करनेवाली होती है और जो सूकर ऊंट भा. बकरी धनु कुल्हाडा इनके समान आकारवाली हो ॥४७॥ वह कुचेल मलिन और मूर्ख तथा ब्रह्महत्यारे पुत्रोंको पेदा करती है और जो कर के कैटा और मुर्देकी समान हो वह पुत्रांकी मृत्यु देनेवाली और धनके नष्ट करनेवाली और पीडाकी दाता होती है जिसमें दुःखसे गमन किया जाय ऐसी भूमि और पापियोंके वंशकी प्रजाकी जो भूमि है उसे त्यागदे ॥४८॥ मनोरम भूमि पुत्र देनेवाली (और मनोरम भूमि सुख देनेवाली) और 21 साभा पुत्रपौत्रघ्नी वंशाभा वंशहानिदा । शुकरोष्ट्राजसदृशी धनुःपरशुरूपिणी॥४७॥ कुचैलान्मलिनान् मुन्ब्रिह्मनाञ्जनयेत् सुतान् । कृकलासशवाकारा मृतपुत्रा धनार्तिदा । दुर्गम्या पापिनां वंशप्रजाभूमि परित्यजेत् ॥४८॥ मनोरमा सुतप्रदा दृढा धनप्रदा मता । सुतार्थदा तथाप्युदक्सुरेशदिक्प्लवा मही ॥ १९ ॥ गम्भीरशब्दा जनयेत्पुत्रान् गम्भीरनिःस्वनान् । तुङ्गा पदान्वितान्कुर्यात्समा सौभाग्यदायिनी ॥५०॥ विकटा शूद्रजातीनां तथा दुर्गनिवासिनाम् । शुभदा नापरेषां च तस्कराणां | शुभावहा ॥५१॥ स्ववर्णवर्णा स्वान्वर्णान्वर्णानामाधिपत्यदा। शुक्लवी च सर्वेषां पुत्रपौत्रविवर्दिनी ॥५२॥ दृढ भूमि धन देनेवाली होती है और उत्तर पूर्वको निम्र जो भूमि वह पुत्र और धन देनेवाली होती है ॥ ४९॥ जिस भूमिका गम्भीर शब्द हो वह गम्भीर शब्दवाले पुत्रांको पैदा करती है और ऊँची भूमि पदवीवाले पुत्रोंको पैदा करती है और सम भनि सौभाग्यको देती है ॥ ५० ॥ और विकट भूमि अदजानी और दुर्गक निवासी और चोरोंको शुभकी दाता होती है अन्य मनुष्यों को नहीं ॥५१॥ और अपने वर्णका है 12॥ रूप जिसका ऐसी भूमि वाँको सुख देती है और वोंका अधिपति करती है, शुक्लवर्णकी भमि सबके पुत्रपौत्र बढानेवाली होती है ।। ५२॥
SR No.034186
Book TitleVishvakarmaprakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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