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________________ 5 नमस्कार माहात्म्ये सम्पादकीयवक्तव्य। ॥८॥ -% उपरथी एटलुं तो नकी थई शके छ के सिद्धपुर वस्या पछी थई गयेला श्रीसिद्धसेनसरिजीनी ज आ कृति छे. ऋण-स्वीकार- आ ग्रन्थना सम्पादन माटे तैयार करेली प्रेसकॉपी पू. मुनिराज श्रीमनकविजयजी म.जे जोई आपी योग्य सूचना करी छे, पू० पा० उपाध्यायजी श्रीमद् जशविजयजी म.ना शिष्य मुनि श्रीअशोकविजयजीए प्रफो जोवामां सहाय करी छे, श्रीहेमचन्द्राचार्य ज्ञानमन्दिरना ट्रस्टी नगरशेठ केशवलालभाई तथा वकील चीमनलाल संघवीए व्रण ह.लि. प्रतिओ आपवानी उदारता बतावी छे अने हीराचंद रतनचंदनी पेढीना मालीक शाह साराभाई जेशींगभाईए डहेलाना उपाश्रयनी प्रति मेळवी आपी छे. आथी ते सर्वनो आ स्थळे आभार मानी कृतज्ञता अनुभवू छु. उपसंहार- प्रान्ते एक विज्ञप्ति करी विरमुंछ के-दृष्टिदोषथी, असावधानीथी, मतिमान्यथी के प्रेसदोषथी जे कोई क्षतिओ रही गई होय तेने सुज्ञ महाशयो क्षम्य गणशे अने अनुकूळताए अमने जणाववा कृपा करशे, जेथी हवे पछीनी आवृत्ति प्रसिद्ध थाय त्यारे तेमां यथायोग्य सुधारो थई शके. AA%C5%9CSC नगीनभाई हॉल, पाटण, पोष कृष्ण पञ्चमी. विक्रम सं. २००४, वीर संवत् २४७५. मुनि कान्तिविजय, नगीनभाई हॉल, पाटण,
SR No.034178
Book TitleNamaskar Mahatmyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddhasenacharya
PublisherKesarbai Gyanmandir
Publication Year1948
Total Pages28
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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