SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री नमस्कारमाहात्म्ये ॥ ४॥ सम्पादकीय - वक्तव्य । श्रीनमस्कार माहात्म्य ग्रन्थ के जेनुं मुद्रण अगाउ एक वार वि. सं. १९६८मां पंडित हीरालाल हंसराज तरफथी थई गयेल छे, तेनुं ज पुनर्मुद्रण श्रीकेसरबाई ज्ञानमन्दिरना संस्थापक संघवी नगीनदास करमचंद तरफथी मुनिराज श्रीभद्रङ्करविजयजी म.ना सदुपदेशथी कराववामां आव्युं छे. प्रतिओनो परिचय - आ ग्रन्थना सम्पादनमां चार हस्तलिखित प्रतिओनो उपयोग कर्यो छे भने मुद्रित प्रतिनो प्रेस कॉपी तरीके उपयोग कर्यो छे. १-२-३ क० ख० ग० संज्ञासूचित त्रण प्रतिओ पाटणस्थ श्रीहेमचन्द्राचार्य ज्ञानमन्दिरनी छे. १ क० प्रतिनो तत्रत्य नं. ४९०० छे, अने तेना पत्रो ५ छे. आ प्रति पंदरमी सदीमां लखायेली हशे. शुद्धतानी दृष्टिए आ प्रति वधु उपयोगी नीवडी छे. आथी मुख्य आधार तेनो ज राख्यो छे. आम छतां य जे स्थलोए आ प्रतिस्थ पाठ सर्वथा अशुद्ध जणायो छे त्यां शुद्ध जणायेली अन्य प्रतिना- पाठने मुख्य स्थान आप्युं छे, अने आ प्रति प्राचीन होवाना कारणे अशुद्ध जणाता एवा पण तेना पाठने रद्द नहि करतां फुटनोटमां पाठान्तर तरीके मूकेल छे. २ ख० प्रतिनो तत्रत्य नं. ५१८५ छे, अने तेना पत्रो १७ छे. आ प्रति १८मी सदीमां लखाएली इशे. शुद्धतानी दृष्टिए आ प्रति पण लगभग क० प्रति जेवी ज छे. सम्पादकीयवक्तव्य । ॥ ४ ॥
SR No.034178
Book TitleNamaskar Mahatmyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddhasenacharya
PublisherKesarbai Gyanmandir
Publication Year1948
Total Pages28
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy